स्कूल टीचर, डॉक्टर, बिल्डरों, कारोबारी, विधायक कार्यकर्ता और सरकारी नौकरों और भी बहुत सारे लोगों को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पाठ पढ़ाने में व्यस्त हैं. सरकार चलाने का यही रोडमैप अब तक दिखाई दे रहा है. इससे सरकार रोज ब्रेकिंग न्यूज और खबरों में तो बनी रह सकती है पर इसका असल में कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला. अगर कोई यह कहे की वह 18 से 20 घंटे काम करता है तो यह ब्रेकिंग न्यूज हो सकती है. साल के 365 दिन और 24 घंटे इस तरह काम करने की बातें बेमानी है. जरूरत इस बात की है कि सरकार का काम असल में प्रभाव डालता कैसे दिखे?

सरकार जब तक कुर्सी पर रहती है हर कोई यही कहता है कि वह सरकार बहुत अचछा काम कर रही है. कुर्सी से हटते ही वही लोग पुरानी सरकार को दोष देने लगते हैं. सरकार को भी वाह वाही सुनने की आदत लग जाती है. वह ऐसी बातें ही सुनना पसंद करती है कि जिसमें उसकी तारीफ हो रही हो. अगर सब कुछ अच्छा होता तो पिछली सरकारें इतनी बुरी तरह से चुनाव क्यों हारती?

सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की यूनिफॉर्म का रंग बदल गया. महापुरूषों की जंयती पर छुट्टियां रद्द हो गई. धार्मिक त्योहारों की भी छुट्टियां रद्द होती जाती तो और बेहतर होता. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने कामकाज से यह दिखाने की कोशिश में हैं कि प्रदेश में आमूलचूल बदलाव हो रहा है. यह सही है कि बदलाव का असर जल्दी नहीं दिखेगा. सरकार ऑफिसों में समय पर बैठने के बाद भी जनता के कामकाज नहीं हो रहे हैं. तहसील दिवस और थाना दिवस में यह साफ दिख रहा है. सरकार ने तहसील और थाना दिवस का नाम बदल कर पूर्ण समाधन दिवस कर दिया है.

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