9 से 12 साल की उम्र में शुरू होने से ले कर 50 साल या इस से ज्यादा समय तक होने वाली माहवारी यानी पीरियड्स न सिर्फ महिला की प्रजनन संबंधी क्षमता को दिखाते हैं, बल्कि उस की सेहत के भी प्रमाण होते हैं.

माहवारी आमतौर पर 5 दिनों तक होती है, लेकिन कई मामलों में यह 2 दिन या ज्यादा से ज्यादा 7 दिन तक भी रह सकती है. 2 दिन से कम ब्लीडिंग होने के लिए हारमोनल कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जैसेकि हाइपरथायरोइडिज्म यानी थायराइड हारमोन का जरूरत से ज्यादा बनना या पीआईडी यानी पैल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज या फिर टीबी का ऐसा संक्रमण जिस का संबंध गर्भाशय से हो.

अगर आप गर्भनिरोधक गोलियां ले रही हैं तब भी आप के पीरियड्स हलके हो सकते हैं.

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अगर पीरियड्स नहीं आते

भारी पीरियड्स न सिर्फ हाइपरथायरोइडिज्म का संकेत हो सकते हैं, बल्कि ये गर्भाशय में फाइब्रौयड्स यानी यूटरस के अंदर बनने वाली मांसपेशियों के ट्यूमर के भी सूचक हो सकते हैं.

सामान्य पीरियड्स प्रत्येक 25-35 दिन के अंतराल में आते हैं. अनियमित पीरियड्स महिला को ओवेरियन सिस्ट, थायराइड आदि का संकेत हो सकते हैं.

अगर आप के पीरियड्स नहीं आते हैं, तो इस का पहला संभावित कारण होता है प्रैगनैंसी. अगर प्रैगनैंसी न हो तो तुरंत जांच करा कर पीरियड्स न आने के कारणों का पता कर इलाज कराएं.

सब से बुरा होता है इंटरमैंस्ट्रुअल ब्लीडिंग का सिगनल. यह इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिक पिल्स के इस्तेमाल की वजह से हो सकता है. यदि ऐसा है तो भी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से जरूर मिलें, क्योंकि ऐसे में ट्यूबल प्रैगनैंसी भी हो सकती है. इंटरमैंस्ट्रुअल ब्लीडिंग की जांच के लिए पैप स्मीयर टैस्ट और अल्ट्रासाउंड किया जाता है, क्योंकि इंटरमैंस्ट्रुअल ब्लीडिंग ओवेरियन सिस्ट अथवा सर्विक्स या फिर यूटरस के कैंसर तक का संकेत हो सकती है.

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