देश के कई शहरों में प्रदूषण की स्थिति भयावह हो गई है. इससे लोगों में तरह तरह के रोगों का खतरा बढ़ रहा है. प्रदूषण से प्रभावित होने वाले अंगों में फेफड़े, आंख, त्वचा प्रमुख हैं. हाल ही में हुए एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि पर्यावरण में फैले कुछ प्रदूषक तत्व किडनी के लिए बेहद खतरनाक हैं.

अमेरिका में हुए इस अध्ययन से खुलासा हुआ कि पर एंड पौलीफ्लोरोअल्काइल सबस्टांसेस (पीएफएएस) औद्योगिक प्रक्रियाओं और उपभोक्ता उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले नॉन बायोडिग्रेडेबल (स्वाभाविक तरीके से नहीं सड़ने वाले) पदार्थों का एक बड़ा समूह है और ये पर्यावरण में हर जगह मौजूद हैं.

शोधकर्ताओं ने आगे बताया कि हम दूषित मिट्टी, पानी, हवा और खाने के जरिए पीएफएएस के संपर्क में आते हैं. जिसका सीधा असर हमारी किडनी पर होता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि किडनी बेहद संवेदनशील अंग हैं खास कर बात जब पर्यावरणीय विषैले तत्वों की हो जो हमारे खून के प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं.

अनुसंधानकर्ताओं ने 74 अध्ययनों को देखा जिसमें पीएफएएस के संपर्क से जुड़े कई प्रतिकूल प्रभावों के बारे में बताया गया है. इन प्रभावों में गुर्दों का सही ढंग से काम न करना, गुर्दे के पास की नलियों में गड़बड़ी और गुर्दे की बीमारी से जुड़े चयापचय मार्गों का बिगड़ जाना शामिल है.

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