जीवनभर की कमाई यदि चंद मिनटों में ही किसी अन्य के हाथों में चली जाए तब कैसा लगेगा? यदि आप ने समय रहते अपनी वसीयत नहीं की, तब हो सकता है कि आप की जीवनभर की कठोर मेहनत से कमाई हुई धनसंपत्ति पराए हाथों में चली जाए अथवा आप के बच्चों के बीच में मनमुटाव और झगड़े पैदा कर दे.

क्या होती है वसीयत?

आप की मृत्यु हो जाने के बाद चलअचल संपत्ति, नकदी, जेवरात, एफडीआर, बैंक बैलेंस, शेयरडिबैंचर, म्यूचुअल फंड आदि का बंटवारा आप के उत्तराधिकारियों में कैसे होगा और किस अनुपात में होगा, इस का अच्छी तरह से सोचसमझ कर एक लिखापढ़ी कर के, उसे सबरजिस्ट्रार औफिस में रजिस्टर्ड कराने को वसीयत करना कहते हैं. वसीयत को रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य नहीं है.

कौन कर सकता है

वसीयत कोई भी कर सकता है, जिस की आयु 18 वर्ष या उस से ऊपर हो. जो स्वस्थचित्त का हो. जो किसी भी धोखे, दबाव या अनुचित प्रभाव में नहीं आया हो. वह हिंदू, मुसलिम, सिख, ईसाई अथवा चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो सकता है.

कब कराना उचित

साधारणतया 50 वर्ष की उम्र हो जाने के पश्चात और यदि आप नौकरीपेशा हैं तो रिटायर होने के तुरंत बाद ही वसीयत कर देनी चाहिए. यदि आप को सपत्नीक किसी दुर्गम यात्रा पर जाना हो अथवा विदेश यात्रा पर जाना हो, तब भी वसीयत कर के ही जाना चाहिए. यदि कोई व्यक्ति किसी असाध्य रोग से पीडि़त है तब उसे जल्दी ही वसीयत कर देनी चाहिए चाहे उस की उम्र कम ही क्यों न हो.

किस की कराई जाती है वसीयत

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