अपनी इज्जत बचाने के लिए एक महिला ने बलात्कार करने की कोशिश करने वालों को हंसिया से काट दिया था. निचली अदालत ने उस 53 वर्षीय महिला को हत्या के जुर्म में 14 साल की सजा सुनायी थी. तबसे 12 सालों तक जेल की सलाखों के पीछे गुजारने के बाद अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन हाईकोर्ट ने अपने फैसले में उसे सजा से बरी किया.

पूर्व मेदिनीपुर रामनगर की गिरिबाला मंडल (बदला हुआ नाम) का पति दिमागी तौर पर अपाहिज है. इसी का फायदा उठा कर गांव का एक व्यक्ति बलात्कार के इरादे से एक दिन उसके घर घुस आया. गिरिबाला ने निहत्थे अपने आपको बचाने की बहुत कोशिश की. पर जब वह सफल नहीं हुई तो उसने हसिया उठा कर बलात्कारी को काट डाला. निचली अदालत ने हत्या को कहीं अधिक महत्व देते हुए उसे 14 साल की सजा सुना दी. तबसे वे पुरुलिया कारागार के महिला सेल में बंद रही हैं. सजा सुनाए जाने के बाद उसके बच्चों ने संबंध तोड़ लिया. तबसे अकेली इस महिला ने निचली अदालत द्वारा सुनाए गए इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील की बहुत कोशिश की. लीगल एड से संपर्क किया. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

लेकिन इसके बारे में जयंत नारायण चटर्जी और देवाशीष बनर्जी नाम के दो वकीलों को पता चला तो इन दोनों वकीलों ने अपने खर्च पर कलकत्ता हाईकोर्ट में ‍निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए अपील की. कुछ महीने सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश देवाशीष करगुप्ता और न्यायाधीश मुमताज खान की खंडपीठ ने गिरिबाला की 14 साल की सजा को घटा कर दस साल कर दिया. साथ में यह भी कहा कि गिरिबाला ने अपनी इज्जत बचाने के लिए हत्या को अंजाम दिया था, इसके लिए वे दस सालों से भी अधिक समय तक जेल में रह चुकी हैं. लिहाजा अदालत ने उन्हें तुरंत बरी करने का आदेश सुनाया.

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