‘‘मेरी शादी को 9 साल हो गए हैं. मेरे 60 वर्षीय एडवोेकेट ससुर ने दहेज प्रताड़ना कानून 498ए की धमकी दे कर मुझे परेशान कर रखा था. मेरी बीवी 6 महीने से मायके में है. वह अपनी सारी ज्वैलरी व सामान भी ले गई है. अब उन लोगों ने मेरे खिलाफ दहेज प्रताड़ना व घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करा दी है. जब मैं ने शिकायत वापस लेने की बात की तो उन्होंने मेरे खिलाफ भरणपोषण का केस दाखिल कर दिया.’’ ‘‘मेरी भाभी ने हमारा जीना मुहाल कर रखा है. बातबात पर वे मेरे बूढ़े मांबाप और मुझे जेल भिजवाने की धमकी देती रहती हैं, छोटेछोटे घरेलू विवाद को वे दहेज प्रताड़ना का नाम देती हैं. इस तरह इस कानून का वे नाजायज फायदा उठा रही हैं. हम बहुत परेशान हैं.’’

आंकड़े क्या कहते हैं?

वर्ष 2011 में दहेज प्रताड़ना में 99,135 केस दाखिल हुए, 2012 में 1,06,527 केस दाखिल हुए, 2013 में 1,197,762 केस दाखिल हुए, नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी के अनुसार, 2011 में 47,746 महिलाओं ने आत्महत्या की वहीं 87,839 पुरुषों ने आत्महत्या की. 2012 में 46,992 महिलाओं ने आत्महत्या की जबकि आत्महत्या करने वाले पुरुषों की संस्था 88,453 थी. इन सभी आंकड़ों में अधिकांश विवाहित पुरुष हैं और आत्महत्या का कारण घरेलू झगड़े हैं.

ये घटनाएं और आंकड़े एक बानगी भर हैं जहां सैकड़ों परिवार दहेज कानून के आतंक के चलते प्रताडि़त हो रहे हैं, तलाक के बजाय ज्यादा घर दहेज प्रताड़ना कानून के चलते बरबाद हो रहे हैं. छोटेछोटे घरेलू विवाद दहेज प्रताड़ना में तबदील हो रहे हैं. कई बार बहू और उस के परिवार वाले अन्य मामलों के विवाद का बदला लेने के लिए इस कानून का सहारा लेते हैं जिस के चलते लड़के के परिवार वालों का जीवन प्रभावित होता है.

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