बीस साल के अपने अभिनय करियर में हिंदी और तमिल भाषाओं की ‘‘थ्री ईडिएट्स’’, ‘‘रंग दे बसंती’’, ‘‘रामजी लंदनवाले’’, ‘‘तनु वेड्समनु’ सहित पचास से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुके आर माधवन हर हिन्दी फिल्म में वही रोमांटिक किरदार में नजर आते रहे हैं. उनकी पहचानएक डब्बू प्रेमी की ही बनकर रह गयी है. इतना ही नही उनकी हर फिल्म में उनके मुकाबले हीर्राइेनें ज्यादा सशक्त नजर आती रही हैं. इसी के चलते धीरे धीरे आर माधवन की अभिनय क्षमता को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे थे.

इन सवालों से तंग आकर आर माधवन ने ऐसी स्क्रिप्ट की तलाश शुरू की, जिससे जुड़ कर वह अपनी क्षमता को लेकर उठने वाले हर सवाल का जवाब दे सकें. वह महज ‘लवर ब्वाय’ नही हैं. बल्कि वह गुस्सैल व इतर किरदारों को निभाने की क्षमता रखते हैं. इसी के चलते आर माधवन ने ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न’ के बाद रोमांटिक किरदार न करने की ठान ली. चुनौतीपूर्ण स्क्रिप्ट की उनकी तलाश उन्हें दक्षिण भारतीय निर्देषक सुधा कोंगरा प्रसाद तक खींच ले गयी. सुधा के पास स्पोर्ट्स फिल्म ‘‘साला खड़ूस’’ की कहानी थी. इस कहानी को सुनकर आर माधवन को अहसास हुआ कि इस फिल्म से वह अपनी अभिनय प्रतिभा पर सवालिया निशान लगाने वालों को सटीक जवाब दे सकते हैं.

बस फिर क्या था, उन्होने इस फिल्म की स्क्रिप्ट व संवाद लिखने के साथ साथ इसका निर्माण करने की ठान ली. पूरे तीन साल के अथक प्रयास व कई तरह की मुसीबतों का सामना करते हुए आर माधवन ने सुधा कोंगरा प्रसाद की कहानी पर उन्ही के निर्देशन में हिन्दी में ‘‘साला खड़ूस’’ और तमिल में ‘‘इरूद्धि सुतरू’’ नाम से फिल्म बना डाली, जो कि अब 29 जनवरी को रिलीज होगी.दो भाषाओं में बनी इस फिल्म में बाक्सिंग कोच की मुख्य भूमिका आर माधवन ने खुद निभायी है.

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