फरीदा जलाल बौलीवुड की उन अभिनेत्रियों में से एक हैं जिन्होंने जिस भी फिल्म में भूमिका निभाई वह हिट हुई. 1960 में बाल कलाकार के रूप में काम शुरू कर उन्होंने 130 फिल्मों में बेटी, बहन, मंगेतर, फैमिली फ्रैंड आदि की भूमिकाएं निभाईं. 80 के दशक में उन्होंने थोड़ा बे्रक लिया. फिर बड़ी बहन, दादी, मां, बुजुर्ग पड़ोसी और विधवा की भूमिकाएं निभाईं. उन्हें फिल्म पारस, हिना, मम्मो और दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे के लिए अवार्ड भी मिले. 65 वर्षीया फरीदा को लगता है कि बड़े परदे पर अच्छा काम करने के बावजूद पहचान के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ता है. अगर फिल्म हिट हो गई और काम की सराहना भी की गई तो भी जरूरी नहीं कि अगली फिल्म में सफलता बरकरार रहे जबकि छोटे परदे पर ज्यादा संभावनाएं होती हैं, दर्शकों से सीधा संवाद होता है. टैलीविजन धारावाहिक ‘देख भाई देख’, ‘शरारत’, ‘बालिका वधू’ के बाद अब वे जी टीवी पर ‘सतरंगी ससुराल’ में विहान की दादीमां की भूमिका निभा रही हैं. उन से मिल कर बात करना रोचक था. पेश हैं अंश :

आप काफी दिनों बाद अभिनय कर रही हैं, इस की वजह?

औफर तो आते थे पर मैं मना करती रही. जो हमेशा से किया उसी को बारबार करने से कोई खुशी नहीं मिलती. इस धारावाहिक के कोप्रोड्यूसर ने जब मुझे इस की कहानी सुनाई तो यह किरदार अलग था. लोग मुझे हंसतीबोलती मां जैसी भूमिका में देखना चाहते हैं. कहानी के मुताबिक, इस सीरियल की भूमिका में अभिनय थोड़ा संजीदा है, सीरियस है. इस में दादी अधिक बोलती नहीं. पर असल में मैं बहुत अधिक बोलती हूं और जल्दीजल्दी बोलती हूं. किरदार का यह अलगपन मुझे अच्छा लगा. मैं ने पहले फिल्मों में काम किया. टीवी पर काम तो बाद में शुरू किया. टीवी और फिल्म में कोई अंतर नहीं होता. दोनों में ऐक्टर कैमरा फेस करते हैं और अपनी भूमिका निभाते हैं.

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