राजपाल यादव बतौर अभिनेता लंबे संघर्ष के बाद एक अदद पहचान बना पाए थे लेकिन गुणवत्तापरक दोचार फिल्में करने के बाद वे कौमेडी फिल्मों के ढर्रे में ऐसे फंसे कि न तो हास्य कलाकार ही रहे न संजीदा अभिनेता. हाल में फिल्म ‘वैलकम बैक’ में नजर आए राजपाल के बेहूदा किरदार से उन की घटती साख को समझा जा सकता है. हालांकि फिल्मों में अभिनय की डगमगाती पारी को संभालने के बजाय राजपाल यादव ने जल्दबाजी में फिल्म निर्देशन व निर्माण का जिम्मा उठा लिया. इस के लिए दिल्ली के एक व्यापारी से करोड़ों रुपए उधार भी ले लिए. लेकिन अपरिपक्वता का नुकसान उन्हें झेलना पड़ा. फिल्म असफल हुई सो अलग. कर्ज चुका न पाने के चलते धोखाधड़ी के इल्जाम लिए बेचारे महीनों जेल की हवा खा कर लौटे हैं. बहरहाल अब वे फिर से चालू फिल्मों में ऊटपटांग किरदार कर के शायद जमापूंजी जोड़ कर कर्ज चुकाने की कोशिश में हों लेकिन एक अभिनेता को इस तरह कामयाबी की राह पर फिसलता देखना अखरता है.

हालांकि इस के लिए राजपाल यादव खुद दोषी हैं. क्योंकि ये सारे फैसले उन्हीं के लिए हुए थे. वरना ‘मैं, मेरी पत्नी और वो’, ‘जंगल’, ‘मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं’ जैसी फिल्मों से चमके राजपाल यादव इस तरह गुमनामी में न खोते. खैर, अच्छी बात है कि बीते दिनों उन्होंने एक अच्छी अंगरेजी फिल्म में काम किया है. काम भले ही नोटिस न हुआ हो लेकिन कोशिश की तारीफ होनी चाहिए. गिरतेसंभलते कैरियर को ले कर उन से हुई बातचीत में इन्हीं तमाम सवालों के जवाब जानने की कोशिश की गई.

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