इन दिनों कई निर्देशक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में अपनी फिल्मों का प्रदर्शन कर रुकी हुई फिल्मों को रिलीज करने का रास्ता खोज रहे हैं. मोटेतौर पर यह सिलसिला अनुराग कश्यप ने अपनी फिल्मों के साथ शुरू किया था. अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फैस्टिवल में अपनी फिल्में दिखाने का फायदा यह होता है कि कई बार वहां आए निर्माताओं की नजर उन रुके हुए फिल्मों पर पड़ जाती है जो रिलीज की राह देख रही होती हैं. जब ये निर्माता इन फिल्मों की औडियंस रिऐक्शन ठीकठाक देखते हैं तो साझेदारी में फिल्म को भारत में रिलीज करने की हामी भर देते हैं. कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित फिल्मों व डौक्यूमैंट्री से शोहरत हासिल कर चुके निर्देशक पान नलिन भी इसी श्रेणी के निर्देशक हैं. पान नलिन भी लीक से हट कर फिल्में बनाते हैं और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फैस्टिवल में लोगों को दिखा कर रिलीज की राह पक्की करते हैं. उन की हालिया फिल्म ‘एंग्री इंडियन गौडेसेज’ भी इसी तरह की फिल्म है.

‘समसारा’ और ‘वैली औफ फ्लावर्स’ जैसी सफलतम फिल्मों के निर्देशक पान नलिन को भारतीय फिल्मकार भले न माना जाता हो मगर उन की फिल्मों को यूरोप और पूरे विश्व में हमेशा न सिर्फ सराहा गया, बल्कि कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया. वे लेखक, विज्ञापन फिल्म निर्माता, निर्देशक, डौक्यूमैंट्री फिल्मकार भी हैं. वे अब तक ‘कुंभ मेला’, ‘द नागास’, ‘काल सहित तकरीबन 15 डौक्यूमैंट्री फिल्में बना चुके हैं. उन की पहली फिल्म ‘समसारा’ लद्दाखी भाषा में थी, जिस ने 130 करोड़ रुपए से अधिक कमाए थे.

फ्रांस में बसे पान नलिन गुजरात के एक गांव में नलिन कुमार पंड्या के नाम से जाने जाते थे. उन के पिता गुजरात में अमरेली रेलवे स्टेशन के पास टी स्टाल चलाते थे. नलिन कुमार पंड्या ने फिल्म निर्देशक बनने के लिए बड़ा संघर्ष किया, पर उन्हें सफलता नहीं मिली. बौलीवुड से उन्हें तिरस्कार के अलावा कुछ नहीं मिला. तब उन्होंने 1991 में 15 मिनट की ‘खजुराहो’ नामक एक लघु फिल्म का निर्माण किया. इस फिल्म ने उन्हें कान इंटरनैशनल फिल्म फैस्टिवल पहुंचा दिया, जहां उन की कई यूरोपीय फिल्मकारों से मुलाकात हुई और फिर वे यूरोपीय फिल्मकारों के साथ मिल कर डौक्यूमैंट्री फिल्में बनाते हुए नलिन कुमार पंड्या से पान नलिन हो गए. आज की तारीख में अंतर्राष्ट्रीय फिल्म जगत, खासकर यूरोप में पान नलिन बहुत बड़े फिल्मकार के रूप में पहचान रखते हैं. 4 दिसंबर, 2015 को उन की नई फिल्म ‘एंग्री इंडियन गौडेसेज’ भारत में रिलीज हुई. इस से पहले यह फिल्म भी अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में जबरदस्त शोहरत बटोर चुकी है. पान नलिन मुंबई में थे. उन से भारत छोड़ कर फ्रांस में बसने और अपनी फिल्मों की शूटिंग के लिए भारत आने से ले कर कई मुद्दों पर लंबी बातचीत हुई जिस में उन्होंने गुजरात और भारत छोड़ कर फ्रांस में बसने की वजह बताते हुए कहा, ‘‘मैं भारत में ही फिल्मकार बनना चाहता था लेकिन बौलीवुड और एनएफडीसी की कार्यशैली की वजह से मुझे बहुत तिरस्कार झेलना पड़ा, जबकि यूरोप ने मुझे अपना लिया. सच कह रहा हूं.

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