‘‘जोधा अकबर’’ के बाद हृतिक रोशन अब एक बार फिर आशुतोष गोवारीकर के निर्देशन में एक ऐतिहासिक फिल्म ‘‘मोहनजो दाड़ो’’ में नजर आने वाले हैं. मगर खुद हृतिक रोशन इसे ऐतिहासिक फिल्म की बजाय प्रेम कहानी वाली फिल्म मानते हैं.

‘‘सरिता’’ पत्रिका से बात करते हुए खुद हृतिक रोशन ने कहा- ‘‘मेरी फिल्म ‘मोहनजो दाड़ो’ ऐतिहासिक नहीं बल्कि एक काल खंड पर आधारित प्रेम कहानी है. मेरा मानना है कि यह फिल्म ‘मोहनजो दाड़ो’ की पृष्ठभूमि पर बदले की भावना से प्रेरित संगीतमय फिल्म है. इसमें ड्रामा भी बहुत है. इसमें मैंने सरमन का किरदार निभाया है, जो कि मोहनजो दाड़ो पहुंचने के बाद चानी से प्यार कर बैठता है.’’

हृतिक रोशन ने फिल्म ‘‘मोहनजो दाड़ो’’ के अपने सरमन किरदार की व्याख्या करते हुए कहा- ‘‘सरमन मेरे जैसा आम इंसान है. मेरी ही तरह वह भी दुनिया को बहुत खूबसूरत मानता है. जब मैने अपना अभिनय करियर शुरू किया था, उस वक्त मैं बहुत सीधा सादा था. मेरे लिए यह संसार खूबसूरत और अच्छा था. मगर समय के साथ मेरी समझ में आता गया कि यह दुनिया कितनी कठोर है. इस दुनिया में लोग किस तरह दूसरों के रास्ते में सिर्फ कांटे ही बोते हैं. सरमन भी कड़वे सच का अहसास मोहनजो दाड़ो पहुंचने के बाद करता है और फिर अन्याय के खिलाफ जंग शुरू करता है.’’

जब हमने हृतिक रोशन से पूछा कि फिल्म ‘मोहनजो दाड़ो’ में जो सभ्यता संस्कृति व राजनीति दिखायी गयी है, वह आज के परिपेक्ष्य में कैसे ठीक बैठती है?

इस सवाल के जवाब में हृतिक रोषन बताया-‘‘कुर्सी हथियाने का मसला हो या पावर गेम हो, वह उस वक्त जैसा था, वैसा आज भी है. कहने का अर्थ यह है कि मोहनजो दाड़ो में जिस तरह की राजनीति दिखायी गयी है, वह आज भी मौजूद है. उस वक्त भी अन्याय होता था. लोग अन्याय के खिलाफ विद्रोह करते थे. आज भी वैसा ही हो रहा है. उस वक्त की तरह आज भी विद्रोही मौजूद हैं. तो हमारी फिल्म में अन्याय के खिलाफ विद्रोह करने की जो जरूरत का चित्रण है.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...