अभिनय जगत में 44 साल की उम्र में कदम रखने वाले हास्य अभिनेता बोमन ईरानी की जिंदगी की यात्रा काफी रोचक रही है. मुंबई में वेफर की दुकान पर नौकरी करने वाले बोमन फोटोग्राफर बने, फिर थिएटर से जुड़े और आज वे बौलीवुड के सफल चरित्र अभिनेता हैं. कुछ समय पहले प्रदर्शित फिल्म ‘हैप्पी न्यू ईयर’ में उन के अभिनय को काफी सराहा गया. पेश हैं उन से हुई बातचीत के खास अंश : 

आप एक बेहतरीन अभिनेता हैं. पर 44 साल की उम्र में अभिनय को कैरियर बनाने की बात दिमाग में कैसे आई?

इस का मेरे पास जवाब नहीं है. मुझे स्कूल दिनों से ही अभिनय से लगाव रहा था. फिल्मों से जुड़ने से पहले मैं फोटोग्राफी करने के साथसाथ थिएटर किया करता था. उस से पहले 32 साल की उम्र तक मैं ने एक वेफर की दुकान में नौकरी की. फिर फोटोग्राफी करनी शुरू की. बतौर फोटोग्राफर, मैं मोटरसाइकिल और मोटरसाइकिल रेस की फोटो खींचा करता था. फिर शामक डावर और अलिक पदमशी से मुलाकात हुई. अलिक पदमशी के साथ मैं ने पहला नाटक ‘रोशनी’ किया था. उस के बाद 10 साल तक थिएटर से जुड़ा रहा. एक दिन फिल्मकार विधु विनोद चोपड़ा ने मुझे फोन किया और पूछा कि क्या मैं फिल्म में अभिनय करना चाहूंगा. उस के बाद मैं फिल्मों से जुड़ गया.

आप ने फिल्मों में कौमेडी के साथसाथ कुछ गंभीर किस्म के किरदार भी निभाए हैं. मगर आप की पहचान एक कौमेडी कलाकार के रूप में बनी हुई है?

मैं ने खुद को किसी सीमा में बांधने का प्रयास कभी नहीं किया पर लोगों को जो परफौर्मेंस अच्छी लगती है, उसे वे याद रखते हैं. जब कौमेडी ऐक्टर के रूप में मेरी पहचान बन गई तो इसे तोड़ने के लिए मैं ने ‘खोसला का घोंसला’ जैसी फिल्म भी की.

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