महान गायक मोहम्मद रफी की आवाज का ठप्पा लिए सोनू निगम एक दौर में खुद की पहचान के संघर्ष से जूझ रहे थे. बदलते वक्त की करवट और मेहनत के बलबूते सोनू निगम कैसे इस मुकाम तक पहुंचे, जानिए उन्हीं की जबानी, जैसा कि उन्होंने बीरेंद्र बरियार ज्योति को बताया.
 
मशहूर गायक सोनू निगम अपनी जादुई आवाज और स्टाइल के चलते 2 दशकों से संगीतप्रेमियों के दिलों पर छाए हुए हैं. 18 साल की उम्र में ही गायक बनने का सपना लिए मुंबई पहुंचने वाले सोनू ने शुरुआती दिनों में मोहम्मद रफी के गानों की नकल कर संगीत की दुनिया में कदम रखा. मोहम्मद रफी की यादें नाम से कई एलबमों ने बाजार में धूम तो मचाई पर उन पर रफी के क्लोन होने का ठप्पा लग गया. इस ठप्पे से सोनू काफी समय तक आजाद नहीं हो सके. 
वर्ष 1997 में ‘बौर्डर’ फिल्म के गीत ‘संदेशे आते हैं, हमें तड़पाते हैं...’ की कामयाबी ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में उन की जगह पक्की कर दी. पिछले दिनों एक संगीत कार्यक्रम में भाग लेने के लिए वे झारखंड की राजधानी रांची आए हुए थे. इसी दौरान उन से हुई मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा कि संगीत उन की नसनस में रचाबसा है.
कुछेक फिल्मों में अभिनय का रंग दिखाने के बाद ऐक्ंिटग के मैदान में खास कामयाबी नहीं मिलने के जवाब में वे कहते हैं कि बचपन से ही उन्होंने गायक बनने का सपना देखा था और इस के अलावा कुछ और करने के बारे में सोचा ही नहीं था. 4 साल की उम्र में ही स्टेज पर प्रोग्राम देने के बाद मन में ठान लिया था कि गायक ही बनना है. बचपन के दिनों में ‘कामचोर’, ‘बोब’, ‘उस्तादी उस्ताद से’, ‘हम से है जमाना’, ‘प्यारा दुश्मन’ जैसी फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर काम करने का मौका मिला था. उस के बाद ‘काश आप हमारे होते’ और ‘लव इन नेपाल’ में हीरो के तौर पर अभिनय किया. उस के बाद फिल्म  ‘जानी दुश्मन’ में रोल किया. 
सोनू निगम कहते हैं कि उन्होंने कभी हीरो बनने या अभिनय करने की कोशिश नहीं की. उन के सामने ऐक्ंिटग के मौके आते रहे और वे उन्हें निभाते रहे. उन के अनुसार, ‘‘मेरा पहला और आखिरी प्यार तो गायन ही है. यही मेरे जीवन का मकसद है.’’
टैलीविजन पर आएदिन टैलीकास्ट हो रहे रिऐलिटी शोज के बारे में सोनू बताते हैं कि यह अच्छी शुरुआत है, इस के जरिए नए गायकों को मंच मिल रहा है. श्रेया घोषाल और सुनिधि चौहान जैसी उम्दा सिंगर तो रिऐलिटी शोज के जरिए ही दुनिया के समाने आई हैं. ऐसे शोज ने दर्जनों बेहतर गायक दिए हैं. यह जरूर है कि फिल्मों में कामयाबी सभी को नहीं मिल सकी, पर ज्यादातर सिंगर स्टेज प्रोग्राम कर खासी कमाई कर रहे हैं. कई ऐसे गायक भी हैं जिन्होंने टैलीविजन के रिऐलिटी शोज में हिस्सा लेने के बाद गायकी को ही अपना कैरियर बना लिया है.
सिंगर बनने की कोशिशों में लगे युवाओं को सोनू निगम सलाह देते हैं कि आवाज का अच्छा या बुरा होना व्यक्ति के हाथ में नहीं होता, पर लगातार रियाज के जरिए किसी भी आवाज को तराशा जा सकता है, उसे साधा जा सकता है. हर काम के साथ रियाज जुड़ा हुआ है. मेहनत और लगन के बगैर किसी को भी किसी भी क्षेत्र में कामयाबी नहीं मिलती.
सोनू निगम पर मोहम्मद रफी की नकल करने का आरोप लगता रहा है. इस सवाल पर वे कहते हैं कि यह जरूर है कि मोहम्मद रफी उन की प्रेरणा रहे हैं और कैरियर के शुरुआती दिनों में रफी साहब के सैकड़ों गीतों को गाया था, पर अब 20 सालों के लंबे कैरियर के बाद भी यह आरोप लगाना सही नहीं है. नकल कर के कोई भी लंबी पारी नहीं खेल सकता है. वे कहते हैं, ‘‘मैं अकसर युवा गायकों से कहता हूं कि पुराने गायकों और उस्ताद से सीखो, सबक लो, पर धीरेधीरे अपनी खुद की स्टाइल डैवलप करने की कोशिश करो.’’ उन का मानना है कि केवल नकल के भरोसे कैरियर बनाना मुमकिन नहीं है. बाजार में बने रहने के लिए अलग और नया दिखना जरूरी है.
इन दिनों सोनू निगम एमटीवी समेत कई म्यूजिकल चैनल्स पर सोलो परफोर्मेंस देते दिखाई दे जाते हैं. इस के अलावा ज्यादातर वक्त वे देश के बाहर अपने स्टेज शो में व्यस्त रहते हैं.

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