स्टार पुत्र अभिषेक बच्चन का 16 वर्ष का अभिनय कैरियर हिचकोले खाते हुए आगे बढ़ रहा है, जबकि वे जे पी दत्ता और मणिरत्नम जैसे दिग्गज फिल्मकारों के साथ काम कर चुके हैं. उन के कैरियर की हालत यह है कि वे जिस मल्टीस्टारर फिल्म का हिस्सा बनते हैं, वह फिल्म जरूर हिट हो जाती है मगर जब भी वे सोलो हीरो वाली फिल्म करते हैं, उन्हें असफलता ही हाथ लगती है.

आप अपना अब तक का कैरियर किस तरह देखते हैं?

हर इंसान की तरह मेरे कैरियर में भी उतारचढ़ाव आते रहे. मैं ने हमेशा हर फिल्म में कुछ अलग करने का प्रयास किया. अलग तरह का किरदार चुनने की कोशिश की. मैं हमेशा अपने ऊपर फिट बैठने वाले चरित्रों की तलाश में रहता हूं. मेरी कोशिश रही है कि फिल्म दर फिल्म मेरी अभिनय प्रतिभा में निखार आए.

सच कहूं तो अभी तक मुझे ऐसे किरदार नहीं मिले, जिन के साथ मैं पूरा न्याय कर सकूं. मैं निरंतर खुद को एक कलाकार के तौर पर खोजता आ रहा हूं. यह प्रक्रिया सतत जारी रहेगी. मैं आज भी सीख रहा हूं. वैसे मुझे किसी भी फिल्म में काम करने का मलाल नहीं है. मैं वह फिल्म नहीं करता, जो मुझे कथानक व पटकथा के स्तर पर पसंद न आए. मैं ने अपनी अब तक की हर फिल्म में काम करते हुए ऐंजौय किया.

आप की फिल्म ‘औल इज वेल’ बौक्स औफिस पर नहीं चली, क्या कमी रह गई थी?

पहली बात तो फिल्म के बनने में काफी देर हो गई. हम इस फिल्म को 6 माह में बना कर रिलीज कर देना चाहते थे, लेकिन फिल्म के निर्माण में 3 साल लग गए. दूसरी बात ईमानदारी से कहूं तो इस फिल्म के लिए मेरा चयन शायद गलत हुआ था. मुझे प्रतिक्रिया मिली कि आप के सामने जो विलेन थे, जिन की वजह से आप भाग रहे थे, वे ऐसे थे, जिन्हें देख कर लगता नहीं था कि आप इन से डरते हों. मुझे भी यह समस्या समझ में आई. मैं शारीरिक रूप से इतना बड़ा हूं कि जो मेरे सामने कलाकार थे, हालांकि वे बहुत अच्छे कलाकार हैं, मो. जिशान अयूब, वे पहली बार मुझे धमकी देते हैं तो लगता है कि एक थप्पड़ मारो, ठीक हो जाएगा. ऐसे इंसान से डर कर रोड ट्रिप पर जाना व भागना गलत लगता है. यदि मैं इस फिल्म में न होता तो शायद यह फिल्म चल जाती.

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