झारखंड के जमशेदपुर के रहने वाले निर्देशक इम्तियाज अली का मानना है कि फिल्म बनाने के लिए सब से जरूरी चीज कहानी है. आप के पास दर्शकों से कहने के लिए कुछ होना चाहिए. कहानी ऐसी होनी चाहिए जो जिंदगी से मिलतीजुलती हो. वे बताते हैं कि वे कहानी की खोज में खूब घूमते हैं और कई लोगों से मिलते हैं. एक लेखक और निर्देशक को समाज व उस की समस्याओं से रूबरू होना बहुत जरूरी है. आज फिल्म इंडस्ट्री में कहानी पर तकनीक हावी हो गई है. कहानी फिल्म की जान होती है और जब किसी चीज में जान ही न हो तो उस से क्या उम्मीद की जा सकती है. पिछले दिनों उन से हुई मुलाकात के दौरान उन्होंने बताया कि तीसरी क्लास से 8वीं क्लास तक की पढ़ाई उन्होंने पटना में की थी. 44 साल के इम्तियाज कहते हैं कि बिहार की किसी थीम पर वे फिल्म बनाना चाहते हैं और इस के लिए वे अच्छी कहानी की तलाश में हैं. पटना के नेट्रोड्रम और सैंट माइकल स्कूल से पढ़ाई करने के बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने जमशेदपुर में की और उस के बाद दिल्ली के हिंदू कालेज से ग्रेजुएशन किया. जल्द ही उन की किसी फिल्म में बिहार या झारखंड नजर आ सकता है.

वे कहते हैं कि पढ़ाई के दौरान उन्होंने फिल्म के बारे में कुछ नहीं सोचा था और इस बारे में कुछ जानकारी भी नहीं थी. स्कूल में पढ़ाई के दौरान नाटक करते थे. पिता ने कभी भी उन्हें नाटक करने से मना नहीं किया. नाटक की पटकथा लिखने और निर्देशन का काम वे खुद ही करते थे. पढ़ाई के दौरान काफी कविताएं भी लिखीं. लेखन से ले कर टैलीविजन के कई शो को डायरैक्ट किया. युवाओं की थीम पर फिल्में बनाने के लिए मशहूर इम्तियाज अली कहते हैं कि उन का जैसा मन करता है, वैसी फिल्में बना देते हैं. फिल्में सफल होंगी या नहीं, इस की चिंता नहीं करते हैं. आगे वे कहते हैं कि जब किसी चीज को पूरे मन और मेहनत से किया जाए तो उसे कामयाबी मिलती ही है.

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