नेपाल को दोबारा हिंदू राष्ट्र बनाने की साजिश चरम पर है. माना जा रहा है कि इस के पीछे नरेंद्र मोदी फैक्टर भी काम कर रहा है. नेपाल के ज्यादातर सियासी दल यूटर्न लेते हुए देश के नए संविधान से धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने के लिए तकरीबन सहमत हो चुके हैं. नेपाल में 80 फीसदी हिंदू हैं. नेपालियों और वहां के सियासी दलों ने देश को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की तैयारी तेज कर दी है. 8 सालों तक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र रहने के बाद नेपाल को दोबारा हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिशें जारी हैं. नेपाली कांग्रेस, युनाइटेड कम्युनिस्ट पार्टी औफ नेपाल समेत कई मधेशी दलों ने संविधान से धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने की सहमति दे दी है. नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने के पीछे भारत का हाथ होने की आशंका इसलिए जाहिर की जा रही है क्योंकि भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी पिछले साल नेपाल का दौरा कर चुके हैं और उस के लिए भरपूर खजाना खोल चुके हैं.

पिछले साल भारत में जब लोकसभा चुनाव की तैयारियां चल रही थीं, सभी दल चुनाव प्रचार में लगे हुए थे, तभी विश्व हिंदू परिषद के संयोजक अशोक सिंघल नेपाल को दोबारा हिंदू राष्ट्र बनाने की कवायद में लगे हुए थे. 1 अप्रैल, 2014 को नेपाल के सुनसरी जिले में एक सभा में उन्होंने साफतौर पर दावा भी किया था कि अगर नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे तो नेपाल एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र बन जाएगा. गौरतलब है कि पिछले  2 जनवरी को हिंदू धर्म समर्थक दल राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (नेपाल) ने पहली बार देश को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने का शिगूफा छेड़ कर नेपाल में नई हलचल मचाई थी. पार्टी के अध्यक्ष कमल थापा ने काठमांडू में 10 हजार लोगों की रैली में कहा था कि नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनने से कोई भी ताकत रोक नहीं सकती है. नेपाल में राजशाही को खत्म कर लोकतंत्र की नींव रखने से ले कर अब तक 8 साल गुजर गए पर अभी तक लोकतंत्र की इमारत तो दूर, सही रूपरेखा भी तैयार नहीं हो सकी है.

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