मशहूर फ्रांसीसी पत्रिका शार्ली एब्दो के साल 2011 में एक व्यंग्यात्मक कार्टून के प्रकाशित होते ही खासा बवाल मचा था क्योंकि वह कार्टून मुसलमानों के पैगंबर हजरत मुहम्मद से ताल्लुक रखता हुआ था. 9/11 के हमले के बाद यों तो पूरे यूरोप में मुसलमानों और इसलाम का विरोध हो रहा था लेकिन शार्ली एब्दो के कार्टून ने कट्टरवादियों को हिला कर रख दिया था. इस की परिणति अच्छी नहीं हुई. आतंकियों ने बीते साल शार्ली एब्दो के दफ्तर में घुस कर संपादक सहित पत्रिका के 12 कर्मचारियों की हत्या कर दी थी.

दूसरी कई बातों के साथसाथ इस हादसे से खासतौर से एक बात यह भी साबित हुई थी कि हर धर्म और उस के प्रचारक व अनुयायी स्वस्थ हंसीमजाक, कटाक्ष और व्यंग्य से डरते हैं क्योंकि धर्म उन्हें खुश रहने की इजाजत नहीं देता. प्रचारित धारणा गलत है कि धर्म का पालन कर लोग खुश रह सकते हैं. लेकिन कहीं भी लोग खुश नहीं हैं जबकि विज्ञान ने जिंदगी बेहद आसान कर दी है और लगातार करता भी जा रहा है. उलट इस के धर्म, वैज्ञानिक खोजों व आविष्कारों को ही हथियार बनाते हुए जिंदगी को जटिल बनाने के काम में जुटा है जिस की एक मिसाल सोशल मीडिया है. फेसबुक और वाट्सऐप का कैसा बेजा इस्तेमाल हो रहा है, यह किसी से छिपा नहीं है. इन पर धर्म का प्रचार हो रहा है, पाखंड व अंधविश्वास फैलाए जा रहे हैं और लोगों को पहले से ज्यादा आसानी से धर्मभीरु बनाया जा रहा है. अच्छी बात यह है कि इन्हीं सोशल साइट्स पर धर्म की वास्तविकता बताने वाले भी हैं लेकिन वे हमेशा की तरह संख्या में कम हैं.

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