आज के कलियुगी पति अपनी पत्नियों से बड़े परेशान रहते हैं. वे तमाम कोशिशों के बावजूद कलियुग की इस देवी को प्रसन्न नहीं कर पाते. नतीजतन, उन का जीवन अशांत और परिवार कलह का केंद्र बन जाता है. आज के युग में यदि आप शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शांति चाहते हैं तो आप को पत्नी देवी को प्रसन्न करना ही होगा. उस के आशीर्वाद और वरदान के बिना जीवन में सुखशांति मिलना असंभव है. लेकिन पतियों के सामने समस्या यह है कि वे पत्नी को प्रसन्न करें तो कैसे? ऐसे पतियों को अब चिंता करने की जरूरत नहीं है. वे रोज सुबह स्नानादि से निवृत्त हो कर और रात को सोने से पूर्व नियमपूर्वक श्रद्धाभाव से नीचे दिए गए पत्नी स्तोत्र का पारायण करें तो निश्चित ही उन की पत्नी उन से प्रसन्न होगी और उन का जीवन सुख व शांति से व्यतीत होने लगेगा.

‘पत्नी स्तोत्र’ का मूल पाठ बहुत वृहद और क्लिष्ट है, जिस का पूरा पाठ करना आज के व्यस्त जीवन में संभव नहीं है. पतियों की सुविधा के लिए यहां उस का संक्षिप्त हिंदी अुनवाद दिया जा रहा है.

‘‘जिस के एक हाथ में बेलन और दूसरे में झाड़ू है, जिस के माथे पर खतरे के निशान सा चमकता लाल सिंदूर, आंखों में पति को भयभीत करने वाला क्रोध और पैरों में मनचलों को प्रसादस्वरूप मिलने वाली पादुकाएं हैं, उस शक्तिरूपा देवी की मैं वंदना करता हूं.

‘‘जिस की वाणी में पति को आज्ञाकारी और सेवाभावी बनाने की शक्ति है, जिस के मुखकमल से निकला हुआ एकएक शब्द पति के लिए ब्रह्म वाक्य है, जिस की मधुर वाणी के लिए पति सदैव तरसता रहता है, जिस की हर आज्ञा पति के लिए शिरोधार्य होती है, जिस के मुखारविंद से निकला हर वाक्य पति के लिए संविधान है और जिस में पति को यों ही मूड आने पर ‘तनखैया’ घोषित करने की अद्भुत शक्ति है उस देवी को मेरा नमस्कार है.

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