मेरा विश्वास है कि अब तक आप सभी लोग आधुनिक युग के चेहरे की किताब यानी कि फेसबुक से तो अवश्य ही परिचित हो गए होंगे और आप के फेस की खुशी भी इसी बात में निहित होगी कि आप फेसबुक पर बने रहें. परिणामस्वरूप, आप को लोग जम कर लाइक करें. यहां पर दुनियाभर से प्राप्त रिपोर्ट्स के आधार पर मैं यह बात बहुत आसानी से कह पाने में समर्थ हूं कि फेसबुक जैसी सोशल मीडिया साइट्स के माध्यम से दुनियाभर के लोगों के मूड को दुनियाभर में आसानी से फैलाया जा सकता है. फेसबुक लोगों के इमोशंस को फेसटूफेस स्क्रीन के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप में फैलाता है. फेसबुक पर पोस्ट किए गए अरबोंखरबों अपडेट्स में इमोशनल पुट मिलता ही है. जब वह तरोताजा बादलों के मूड और उन के बरसने का व्याख्यान होता है तो दिल्ली शहर की चिलचिलाती गरमी में भी दिल्ली वालों को मौसम में नमी का एहसास होने लगता है. मन, बिन बरसात नाचे मयूरी, हो जाते देर नहीं लगती. क्या कहें जनाब, कवि निराला ने भी बादलों और बरसात पर इतनी कविताई नहीं की जितनी कविताई आधुनिक अतुकांत कविताई आजकल के युवकयुवतियां फेसबुक पर डाल कर अपने हिस्से में एक ही क्लिक पर तमाम सारे लाइक एकसाथ बटोर लेते हैं. निराला जिंदा होते तो आधुनिक अक्ल से पैदल इन कवियों से ईर्ष्या किए बिना नहीं रहते.

फेसबुक अकाउंट पर बादल के संबंध में यदि आप अपडेट पोस्ट करें, तो भला जिन शहरों में बारिश नहीं होने के आसार भी होंगे तो वहां भी कम से कम इमोशनल बारिश तो हो ही जाती है, वास्तविकता में भले ही धरती आग उगल रही हो. जी हां, ऐसा है हमारा आधुनिक दौर का फेसबुक कनैक्शन और इमोशन. पुराने समय में फेसबुक नहीं था तो प्रेमी अपनी प्रेमिका का चुंबन लेने के नायाब तरीके खोजता था. आजकल फेसबुक है, उस पर प्रेमिका का फोटो भी मौजूद है. कितना आसान है उस का चुंबन लेना. फोटो डाउनलोड करो, क्रोप करो और उस के गाल पर अपनी फोटो के होंठों को सटाओ, चिपका कर नजदीक ले आओ और चुंबन लो और फिक्स कर के कर दो पोस्ट. और तो और, इस नई फोटो के बारे में दुनियाभर से पूछ लो लाइक किया या नहीं?

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