किट्टी पार्टी में क्या हुआ और क्या होने वाला है इस मामले में अकसर मेरी श्रीमतीजी मुझ से शेयर नहीं करतीं. शायद इस नाचीज को वह इस काबिल नहीं समझतीं. मगर इस बार जो किट्टी पार्टी की खास बैठक हुई उस में क्या हुआ था यह सूचना मुझे देते समय वह राष्ट्रीय गौरव सा महसूस कर रही थीं. उन्होंने हमें बताया कि हम आने वाले समय के गणतंत्र वर्ष के दौरान देश पर शहीद हुए लोगों को धूमधाम से श्रद्धांजलि देने जा रहे हैं. किट्टी पार्टी में शहीदों को श्रद्धांजलि और वह भी धूमधाम से? मैं अचकचाते हुए थोड़ा चौंका, मगर अगले ही पल उन्होंने सौरी बोलते हुए ‘धूमधाम’ की जगह ‘सच्चे दिल से’ फिट कर दिया.

मैं ने पूछा, ‘‘यह गणतंत्र वर्ष क्या होता है?’’

मुझे बताया या कहें समझाया गया कि अवर कंट्री इंडिया में पहली बार बिलकुल नए तरीके से सोचा गया है, श्रद्धांजलि अर्पित करने के बारे में. पिछले साल के गणतंत्र दिवस से ले कर इस साल के गणतंत्र दिवस के बीच जो देश पर शहीद हुए हैं उन्हें हम महिलाएं हर वर्ष अपनी किसी एक किट्टी सिटिंग में तहेदिल से याद करेंगी. गणतंत्र वर्ष का फार्मेट बनाने की प्रेरणा हमें वित्त वर्ष से मिली है.

‘‘क्या तरीका अपनाओगे?’’ मैं ने पूछा.

अब किट्टी क्लब की सचिव बोल रही थीं, ‘‘हम फिल्मी या टीवी कलाकारों की तरह नाचगा कर श्रद्धांजलि कतई नहीं देंगे क्योंकि इस के लिए हमें थिएटर या बड़ा हाल बुक करना पड़ेगा. डांसर्स व सिंगर्स के अलावा कई लोगों से संपर्क करना पड़ेगा. सब से ज्यादा पंगा होगा उन लोगों को बुलाना, जिन से हाल भरेगा. फिर वहां किसी को अध्यक्ष बनाना पड़ेगा और वह भी ऐसा जो वीआईपी टाइप हो ताकि प्रेस आए और अखबारों के साथसाथ कम से कम लोकल चैनलों पर तो कवरेज मिल जाए. कुछ खास लोगों के चायनाश्ते का इंतजाम तो करना ही पड़ेगा. सब से ज्यादा सिरदर्द तो पैसा इकट्ठा करना है. इकनामिक क्राइसिस के मौसम में हमें उद्योगपतियों से पैसे भी नहीं मिलेंगे. हालांकि ऐसे प्रोग्राम को स्पांसर नहीं कराना चाहिए मगर कराना भी चाहें तो आजकल कोई नहीं करेगा.

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