आतंकवाद से निबटने के उपायों की बिगड़ती स्थिति की बेहद जरूरी समीक्षा के लिए नियमित मीटिंग न हो सकने पर एक इमरजेंसी मीटिंग हुई, जिस में राजनीतिक, मीडिया, चिकित्सा, धार्मिक, सामाजिक व सरकारी आदि सभी तरह के नुमाइंदे शामिल हुए. भारतीय परंपरा के मुताबिक सब से पहले अध्यक्ष का चुनाव किया गया. कोई पंगा न हो इसलिए सरकारी नुमाइंदे को ही सब की सहमति से अध्यक्ष चुना गया. इस से वह प्रसन्नचित्त भी हो गए. मीटिंग शुरू हुई.

सभी अपनीअपनी की गई तैयारी बताने के लिए अच्छे ढंग से तैयार हो कर आए थे. सूचना युग में सब से पहली बारी मीडिया की आई. मीडिया की तरफ से एक चैनल वाला और एक अखबार वाला था. चैनल वाले ने सूचित किया कि मुझे मेरे चैनल वालों ने नया अति आधुनिक तकनीक वाला कैमरा खरीद कर दिया है क्योंकि मेरा पुराना कैमरा बीचबीच में पंगा करता था. अब हम आतंकवादियों के कारनामों व उस के परिणामों को निर्बाध रूप से कवर कर के दिखाएंगे. मैं ने अपने सूचना सूत्रों को भी कस दिया है जहां भी कोई आतंकी हादसा होगा, मेरे मोबाइल पर इस का फास्ट मैसेज आएगा और मैं सीधा घटनास्थल की तरफ रुख करूंगा. मैं ने अपनी बाइक की टंकी पावर पेट्रोल से फुल कर ली है, इमरजेंसी में खाने के लिए मनपसंद एनर्जी बिस्कुट, केक, डिं्रक्स आदि रख ली हैं. मैं पूरी तरह से तैयार हूं.

अखबार वाले ने कहा, ‘‘हम इन टीवी वालों से कतई पीछे नहीं रहेंगे. जो ये दिखाएंगे हम उसी घटना को नए अंदाज में, अधिक प्रभावशाली व तकनीकी दक्षता के साथ फोटो को कलर व बढि़या कागज पर छापेंगे और खबरों को अधिक विश्वसनीय व खोजी बनाएंगे.’’

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