‘‘बेटा, पापा को तंग मत करो. तुम्हें जितने लोगों को पार्टी में बुलाना हो बुला लो, पर पापा को बारबार होटल जाने के लिए मत कहो, क्योंकि तुम्हें तो मालूम है कि पापा आजकल फरार चल रहे हैं,’’ मम्मी बोलीं.

बेटा मन मसोस कर रह गया, बोला, ‘‘पापा हर कहीं तो घूमतेफिरते रहते हैं, फिर हम लोगों के साथ होटल क्यों नहीं जा सकते. उन के वहां जाने से होटल वाला 50 प्रतिशत डिस्काउंट तो दे ही देगा, हो सकता है 60 प्रतिशत देदे या फिर फ्री खाना खिला दे.’’

मां बोलीं, ‘‘बात तो ठीक है पर आजकल मीडिया वालों का भरोसा नहीं, कब फोटो खींच लें और बेकार का बवाल खड़ा कर दें. पापा को तो फरार ही रहने दो.’’

ऊपर बात दयाशंकरजी की हो रही है जो शहर के दबंगों में से एक हैं. अकसर उन के खिलाफ थाने में रिपोर्ट होती रहती है. यह बात अलग है कि उन में से कोई दर्ज नहीं होती. वे एक बार ऐसे फंस गए कि सामने वाला चीफ मिनिस्टर का खास निकला और ऊपर से प्रैशर आने की वजह से एफआईआर दर्ज हो गई और यहां तक कि गिरफ्तारी वारंट निकल गया. उसी दिन से दयाशंकरजी फरार हैं. शुरूशुरू में पुलिस वाले घर आते थे. उन के घर वालों से पूछते थे कि दयाशंकरजी घर में हैं? घर वाले कह देते थे, ‘नहीं हैं.’ बस, पुलिस वाले रिपोर्ट में लिख देते थे कि गिरफ्तारी नहीं हो सकी क्योंकि दयाशंकर फरार है. पूरे शहर में दयाशंकर घूमतेफिरते, लोगों से मिलते और बड़े शान से कहते, ‘हम फरार हैं.’

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