किट्टी पार्टी में मुंह लटकाए बैठी मनीषा से कारण पूछा तो उस की रुलाई फूट पड़ी. बोली, ‘‘क्या बताऊं, मुझे फेसबुक पर 2 साल से ज्यादा हो गए हैं फिर भी न जाने क्यों लाइक्स और कमैंट्स बहुत कम मिलते हैं जबकि अंजु अभी महीना पहले ही फेसबुक से जुड़ी है और उस के लाइक्स की भरमार है. भला उस के लाइक्स मेरे लाइक्स से ज्यादा कैसे?’’ उस की स्थिति देख कर मेरी आंखें भर आईं. मैं फेसबुक की माहिर नहीं थी, अत: मुझे उस का दुख दूर करने का कोई रास्ता सूझ नहीं रहा था. मैं ने इस समस्या पर सब के साथ चर्चा करने का मन बनाया. सब के आ जाने पर चाय पीते हुए जब प्रदूषण जैसे आम मुद्दे पर बात चल रही थी, तब मैं ने मनीषा की समस्या का जिक्र किया. समस्या सुन सभी को अपनी दुखती रग पर हाथ रखना लगा, क्योंकि उन्हें भी आएदिन इस समस्या से दोचार होना पड़ता था. सभी इस विषय पर चर्चा करने को राजी हो गए. फिर अपने ज्ञान व अनुभव के आधार पर सभी ने कुछ सुझाव पेश किए.

पहला सुझाव था, इस उपदेश पर अमल करना कि व्यक्ति को फल की इच्छा किए बिना कर्म करते रहना चाहिए. लोगों की पोस्ट और फोटो दिल खोल कर सिर्फ लाइक ही न करें बल्कि कमैंट्स भी करें. चाहे कोईर् तसवीर कितनी भी खराब लग रही हो, उस की प्रशंसा के पुल बांध दें. याद रखें कि भलाई कभी बेकार नहीं जाती. ये लाइक्स और कमैंट्स आप के पास कभी न कभी लौट कर अवश्य आएंगे. अगला सुझाव प्रेम में बंधन के महत्त्व से था. जैसे रक्षाबंधन पर भाईबहन का बंधन, फ्रैंडशिप डे के दिन दोस्तों को बांधे जाने वाले फ्रैंडशिप बैंड और इसी प्रकार गठबंधन आदि. आप भी अपने फेसबुक के दोस्तों को ‘टैग’ नामक बंधन में बांधिए. किसी भी पोस्ट को प्रस्तुत करते समय प्रेमपूर्वक कई लोगों को टैग कर दीजिए. फिर देखिए कि प्रेमभाव कैसे उमड़ कर लाइक्स और कमैंट्स में तबदील होता दिखाई देता है. टैग किए गए दोस्तों के वे मित्र जो आप के फ्रैंड नहीं हैं, उन्हें भी आप की पोस्ट दिखाई देगी और वे भी टैग जाल में फंस कर अपने लाइक्स आप को समर्पित करेंगे.

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