भारत में अंगरेजों के 200 साल के राज की एक ओर तो भर्त्सना की जाती है जबकि दूसरी ओर कुछ मामलों में तारीफें भी होती हैं. जब भी कानून व्यवस्था बिगड़ने या महंगाई बढ़ने की बात होती है तो कई पुराने लोग झट से यह मत देने से नहीं चूकते कि इस से बेहतर तो अंगरेजी हुकूमत थी. यह बात सही नहीं है कि उस दौर में इतने रेप और गैंगरेप तो नहीं होते थे जितने आज स्वतंत्र भारत में हो रहे हैं. अंगरेजों ने रेलवे नैटवर्क का निर्माण किया जिस के कारण देश के एक कोने से दूसरे कोने तक लोग आसानी से पहुंचने लगे. भले ही उन्होंने यह कदम अपने विशाल साम्राज्य को सहीसलामत रखने, उसे और मजबूत बनाने के मद्देनजर किया हो लेकिन देश के एकीकरण में इस सुविधा ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की.

इसी तरह पोस्ट ऐंड टैलीग्राफ के विकास ने भी एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. लोग दूरदराज के अपने रिश्तेदारों से फोन पर बात कर सकते थे. पोस्टकार्ड व चिट्ठी अपने गंतव्य तक पहुंच सकती थीं. ये तमाम सुविधाएं राष्ट्रीय एकीकरण की प्रतीक बन गई थीं. विविध रहनसहन, विविध भाषाएं बोलने वाले, आचारविचार वाले लोगों को एकदूसरे से मिलनेजुलने, उन्हें समझने का मौका मिला. एकदूसरे की संस्कृति, खानपान के बारे में जानकारी मिली. अंगरेजों ने सिविल सर्विस का गठन किया. इस ने भी देश के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. वह हुकूमत वर्क टू रूल व कानून का शासन को मानने व लागू करने को ही अपना कमिटमैंट मानती थी.

बहुत से ऐसे अधिनियम, नियम आदि अंगरेजों ने बनाए जोकि पूरे देश में लागू किए गए. इस से भी एकीकरण में मदद मिली. अब यह बात हो गई आजादी के पहले की. आजादी के पहले के राष्ट्रीय एकीकरण के मानक या सूत्र कुछ और थे और जैसे ही देश को आजादी मिली कि उस का दुरुपयोग शुरू हो गया. लेकिन इस का एक फायदा यह रहा कि एकीकरण के कुछ नए अखिल भारतीय स्तर के मानक अपनेआप निर्मित हो गए. किसी को प्रयास ही नहीं करने पड़े. भले ही कोई कहे कि ये नकारात्मक मानक या सूत्र हैं लेकिन देश के एकीकरण में इन की भूमिका रेल, डाक व तार से कम नहीं है. हालांकि, इन मानकों के स्थापित होने में सरकार की कोई भूमिका नहीं है. ये अपनेआप ही कालांतर में विभिन्न संस्कृतियों के लोगों के आपसी घालमेल से पैदा हो गए हैं. एक की आदत चाहे अच्छी हो या बुरी, दूसरे ने अख्तियार कर ली और इस तरह देश के आजादी के

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