प्यारे बंधुओ, वर्षों से पैर छूने की कला में पारंगत अपने सांसद सदमे में आ गए हैं. प्रधानमंत्रीजी ने सार्वजनिक रूप से नसीहत देते हुए कह दिया है कि कोई भी उन के न तो पैर छुए और न ही चापलूसी करे. प्रधानमंत्रीजी ने अपने भाषण के दौरान कहा, ‘‘जब कोई मेरे पैर छूता है तो मुझे गुस्सा आता है. मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से आया हूं. संघ के सरसंघचालक गुरुजी कहते थे कि एक बार पैर छूने पर उन की उम्र एक दिन घट जाती है.’’

प्रधानमंत्रीजी ने यह भी कहा, ‘‘सभी सांसद जनता से सीधे संवाद करें. सदन में ज्यादा से ज्यादा मौजूद रहें. प्रवक्ता की तरह न बोलें. बहस में ज्यादा हिस्सा लें. संसदीय क्षेत्र की बात करें. क्षेत्र के विकास की चिंता करें. मुद्दे उठाने का होमवर्क करें, किसी भी सीनियर नेता के पांव न छुएं, संसद के सभी सत्रों में मौजूद रहें और सदन में बोलने से पहले पूरी तैयारी कर के आएं. प्रत्येक सांसद अपना काम पूरी ईमानदारी और लगन से करे. यही उन का सच्चे तौर पर पैर छूना समझा जाएगा.’’ जी हां, प्रधानमंत्रीजी ने सच ही तो कहा है, भला इस में बुरा भी क्या है? आप यदि बुरा न मानें तो मैं यहां पर पूरी तरह से अपने प्रधानमंत्रीजी के साथ हूं और मैं भी अपने भारतवासियों से कहना चाहूंगा कि अपने भारत के सभी नागरिक यदि उन की इन बातों पर अमल करें तो भावी पीढ़ी पैर छूने का सच्चा अर्थ भूल कर बस अपना काम से काम रखना सीख जाएगी. परिणामस्वरूप वह बातबात पर केवल अपना उल्लू ही सीधा करती हुई नजर आएगी.

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