25 साला रिंकू निचले तबके के एक मजदूर का बेटा था. जब वह 12 साल का था, तभी उस ने अपने पिता के साथ मजदूरी पर जाना शुरू कर दिया था. काम के दौरान जब उस ने साथी मजदूरों को थकान उतारने के लिए तंबाकू, गुटका, बीड़ीसिगरेट का सेवन करते देखा, तो उस की भी ऐसा करने की इच्छा होती थी. एक दिन रिंकू ने एक मजदूर से बीड़ी मांग कर पी, जो बाद में आदत बन गई. जब रिंकू 22 साल का हुआ, तो उस के मुंह में छाले की समस्या बनी रहने लगी. जब आम दवाओं से उसे कोई फायदा नहीं हुआ, तो उस ने पास के एक सरकारी अस्पताल में एक डाक्टर को अपनी समस्या बताई.

डाक्टर ने रिंकू के मुंह के छालों की जांचपड़ताल के बाद कैंसर की जांच कराने की सलाह दी. रिंकू ने जरूरी टैस्ट कराए, तो पता चला कि उसे मुंह का कैंसर हो चुका है. चूंकि रिंकू एक गरीब मजदूर का बेटा था, इसलिए वह अपनी बीमारी का इलाज सही तरीके से नहीं करा पाया और 25 साल की उम्र में कैंसर की वजह से उस की मौत हो गई. अनिल को बचपन में ही स्कूल में गलत दोस्तों की संगत पड़ गई और वह तंबाकू व गुटका का सेवन करने लगा और इसे अपनी लत बना लिया. जब अनिल की 22 साल की उम्र में शादी हुई, तो उसे लगा कि वह एक नई जिंदगी की शुरुआत कर रहा है. इस बीच वह एक बच्चे का बाप भी बन गया.

कुछ समय तक तो सबकुछ ठीकठाक रहा, लेकिन एक दिन उसे लगा कि वह अपना मुंह पूरी तरह नहीं खोल पा रहा है. जब उस ने डाक्टर से जांच कराई, तो पता चला कि उसे मुंह का कैंसर हो चुका है, जो आखिरी स्टेज पर है. अनिल के पिता सरकारी नौकरी करते थे. वे उस के इलाज के लिए देश के बड़ेबड़े अस्पतालों में दौड़े, लेकिन पिछले साल अनिल की कैंसर की वजह से मौत हो गई. मुंह व फेफड़े का कैंसर होने की अहम वजह तंबाकू का ज्यादा सेवन करना है, क्योंकि तंबाकू में कैंसर बनाने वाले निकोटिन और नाइट्रोसोप्रोलिन जैसे खतरनाक तत्त्व पाए जाते हैं. तंबाकू से बनी बीड़ी व सिगरेट में कार्बन मोनोऔक्साइड, थायोसाइनेट, हाइड्रोजन साइनाइड व निकोटिन जैसे खतरनाक तत्त्व पाए जाते हैं, जो न केवल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को जन्म देते हैं, बल्कि शरीर को भी कई खतरनाक बीमारियों की तरफ धकेलते हैं. जो लोग तंबाकू या तंबाकू से बनी चीजों का सेवन नहीं करते हैं, वे भी तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों खासकर बीड़ीसिगरेट पीने वालों की संगत में बैठ कर यह बीमारी मोल ले लेते हैं. इसे अंगरेजी भाषा में ‘पैसिव स्मोकिंग’ कहते हैं.

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