प्रकृति से खिलवाड़, वैज्ञानिक और तकनीकी मोरचे पर कमजोरी और कुछ कमाई के बेपरवा नजरिए ने नेपाल को बरबादी के उस कगार पर ला कर खड़ा कर दिया है जहां से उसे वापस आने में अरसा लग जाएगा. पर्यटन उद्योग की टूटी कमर ले कर देश की अर्थव्यवस्था को खड़ा करना नेपाल के लिए असंभव तो नहीं लेकिन मुश्किल जरूर है. प्राकृतिक आपदा से तहसनहस हुए नेपाल में जान व माल दोनों का भारी नुकसान हुआ. यह नुकसान और ज्यादा हो सकता था अगर मातम की इस बदरंग तसवीर में 2 चेहरे बड़े उजले नजर न आते. एक, बचाव के लिए जान जोखिम पर डालते हुए सेना के जवान और दूसरे, घायल व मरणासन्न लोगों में जिंदगी की उम्मीद फूंकते डाक्टर. मौजूदा दौर में चिकित्सा जगत और चिकित्सक अपने सेवाभाव के बजाय व्यावसायिक रवैए के चलते अकसर आलोचनाओं से घिरे रहते हैं. इस से इनकार नहीं किया जा सकता कि आज के ज्यादातार डाक्टर इलाज के नाम पर सिर्फ पैसा कमाने को ही अपना पेशा समझने लगे हैं. उन्हें गरीब आदमी की परेशानी व उस की आर्थिक मजबूरियों से कोई वास्ता नहीं है. कई मामलों में तो मरीज के आर्थिक व मानसिक शोषण की हद हो जाती है.

बहरहाल, नेपाल के भूकंप हादसे में तसवीर उलट नजर आई. भारत व नेपाल समेत दुनियाभर के डाक्टर इस मुश्किल घड़ी में न सिर्फ एकजुट नजर आए बल्कि अपने सेवाभाव से सैकड़ों जानें भी बचाईं. भारतीय डाक्टरों का नेपाल में सेवाभाव देखने वाला था. देशभर के अलगअलग राज्यों से डाक्टरों की टीमें तमाम चिकित्सा के औजार, दवाओं और राहत सामग्री ले कर नेपाल में राहत कार्यों में जीजान से जुटी दिखीं. वहां न तो तंबुओं का इंतजाम था, न ही दवाओं की आपूर्ति. बावजूद इस के, जिस से जो बन पड़ा, किया. कई डाक्टर तो ऐसे इलाकों में काम कर रहे थे जहां खानेपीने की भी पर्याप्त आपूर्ति नहीं थी. मसलन, भूकंप पीडि़तों को मुसकराहट दे कर वापस लौटे पटना के चिकित्सकों की टीम कभी रस्सी के सहारे पहाड़ों पर चढ़ी तो कभी रूखासूखा खा कर दिन गुजारा. लेकिन तमाम विषम परिस्थितियों के बावजूद ये लोगों की मदद में जुटे रहे. चिकित्सकों की ऐसी कई टीमों को नेपाल में सेवाभाव के लिए पुरस्कारों से भी नवाजा गया है. नेपाल से लौटे कई डाक्टरों को कई बार रस्सियों के सहारे पहाड़ों पर चढ़ कर काम करने जाना पड़ा. काफी कम साधनों के बावजूद इन से जो बन पड़ा, वहां के मरीजों के लिए किया. साथ ही, सेना के जवानों ने इन का कंधे से कंधे मिला कर साथ दिया.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...