हाल ही में आईसीएमआर यानी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक अध्ययन में 80 प्रतिशत लोग किसी न किसी तरह के यौन रोगों के शिकार पाए गए. इस अध्ययन में शामिल दंपतियों से उन की सामाजिक, पारिवारिक स्थिति, बीमारी, इलाज, लैंगिक व्यवहार, एचआईवी व अन्य यौन रोगों के बारे में जानकारी व खतरे के बोध के बारे में सवाल किए गए. 29 प्रतिशत लोग अपने साथी के कारण यौन रोगों का शिकार पाए गए.

अध्ययन में शामिल दंपतियों में अधिकांश पुरुष इरैक्टाइल डिसफंक्शन, एचआईवी व महिलाएं सिफलिस व गोनोरिया से पीडि़त पाई गईं. परीक्षण में शामिल एकतिहाई महिलाओं में ट्राइकोमोनास वैजाइनलिस की उपस्थिति पाई गई.

इसी तरह जर्नल औफ अमेरिकन मैडिकल एसोसिएशन (जामा) में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, 18-54 आयुवर्ग के स्त्रीपुरुषों के बीच किए गए एक सर्वेक्षण में 43 प्रतिशत महिलाएं व 31 प्रतिशत पुरुष लैंगिक समस्या के शिकार पाए गए. ये सभी आंकड़े दर्शाते हैं कि यह समस्या कितनी गंभीर है.

क्या आप ने कभी गौर किया है कि सैक्स लाइफ जीवनशैली पर निर्भर करती है. जीवनशैली बदलने का सब से ज्यादा प्रभाव सैक्स लाइफ पर पड़ता है. आधुनिक जीवनशैली यानी सुविधासंपन्न जीवन, लगातार देर रात तक काम में व्यस्तता, शारीरिक श्रम में कमी, जंक और फास्टफूड का चलन, देर रात पार्टियों में धूम्रपान व शराब की लत आदि सैक्स लाइफ पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं और सैक्स संबंधी रोगों को जन्म देते हैं.

जितनी तेजी से विज्ञान ने तरक्की कर हमें सुखसुविधाएं उपलब्ध करवाई हैं उतनी ही तेजी से तरहतरह की बीमारियों ने शरीर में घर बनाया है. एग्रेशन (गुस्सा), डिप्रैशन, मैंटल डिसऔर्डर, तनाव, जैसे मानसिक रोग व मोटापा, गैस, कब्ज जैसी रोजमर्रा की तकलीफें और अस्थमा, जोड़ों का दर्द, माइग्रेन, बवासीर, उच्च रक्तचाप, मधुमेह व हृदयरोग जैसे गंभीर रोग इसी आधुनिक जीवनशैली की देन हैं और यही सैक्स लाइफ को बरबाद कर डालते हैं.

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