शाम के 7 बजे थे. 45 वर्षीय वर्षा को एक ओर घर जाने की जल्दी थी तो दूसरी ओर बौस को रिपोर्ट भी देनी थी. वह एक निजी कंपनी में बतौर मार्केटिंग मैनेजर काम करती थी. उस ने जल्दी से सारी रिपोर्ट पर एक उड़ती नजर डाली और फटाफट बौस के चैंबर में जा कर रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट को देखते ही बौस गरज उठे. रिपोर्ट में कई सारी गलतियां थीं. वर्षा को डांटते हुए उन्होंने कहा कि आजकल कुछ समय से उस के काम में कुछ न कुछ गलती नजर आती है. कहीं उस की याददाश्त तो कम नहीं हो गई? उसे बादाम खाने चाहिए जैसे व्यंग्य भी किए.

वर्षा को स्वयं भी लगा कि वह कितनी भी सावधानी बरते, उस से कोई न कोई गलती हो ही जाती है. क्या सचमुच उस की याददाश्त कमजोर हो गई है? ऐसे खयाल आते ही उस की आंखों में आंसू भर आए. पर वह अपनी परेशानियां किसे और किस तरह समझाती?

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48 वर्षीय रश्मि अपने बौस के साथ बैठ कर एसी चैंबर में पूरे दिन के हिसाब का लेखाजोखा कर रही थी. उस के सीनियर अफसर सहायता कर रहे थे. उसी वक्त बौस ने देखा, हिसाब की एंट्रियों के पिं्रटों पर रश्मि के पसीने की बूंदें गिर रही थीं. पिं्रट बिगड़ने की वजह से उन्होंने रश्मि को डांट दिया.

वर्षा या रश्मि की जैसी परेशानियों का सामना ज्यादातर औरतों को अकसर करना ही पड़ता है. आम लोगों को इस की जानकारी न होने से वे औरतों की इस प्रकार की परेशानियों को समझ नहीं पाते. उन के साथ हमदर्दी से पेश आने के बजाय उन के साथ बेअदबी भरा बरताव करते हैं. 40 या 45 की उम्र में ज्यादातर महिलाएं किसी न किसी समस्या का सामना करती दिखती हैं. हालांकि 21वीं सदी में महिलाओं की औसतन आयु 80+ मानी जाती है.

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