लीवर (यकृत, कलेजा, जिगर) मानव शरीर का एक महत्त्वपूर्ण व जटिल अवयव है. जहां एक ओर यह अद्भुत संग्रहालय है वहीं दूसरी ओर यह एक रासायनिक कारखाना भी है. भोजन का चयपचय व ऊर्जा उत्पादन यहीं होता है. इस की कोशिकाओं में पुनर्जीवित होने की अद्भुत क्षमता निहित होती है. ऐसे में इस का इंफेक्शन शारीरिक क्षति है और विडंबना यह है कि यह रोग महामारी का रूप ले रहा है.

मनीष कई दिनों से परेशान था. 1 हफ्ते से उसे हलका बुखार था और भूख तो मानो मर सी गई थी. सुबह उठते ही जी मिचलाता था. इन हलकीफुलकी तकलीफों को सामान्य मान कर मनीष ने परवा नहीं की मगर आज स्थिति सहन करने लायक नहीं थी. पेटदर्द ऐसा उठा कि वह बेदम सा हो गया था. तुरंत डाक्टर से संपर्क किया गया. डाक्टर ने मनीष को हैरत से देखते हुए कहा, ‘‘आप ने इतनी देर कर के हद कर दी, आप खुद तो तड़प ही रहे हैं, साथ में रोग को फैला भी रहे हैं. आप को हिपेटाइटिस है जो पूरे शहर में फैल रहा है.’’

हक्काबक्का रह गया था मनीष. लगभग महीनेभर के उपचार तथा परहेज से स्थिति नियंत्रित की जा सकी थी.

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रोगकारक वायरस (वायरल हिपेटाइटिस) : इस रोग का कारक वायरस है. इस वायरस के कई रूप हैं. हिपेटाइटिस ए वायरस रोगी के मल से रोग को फैलाता है. इंफेक्शन के 2 हफ्ते बाद तक रोगी के मल में इन्हें देखा जा सकता है. अस्वच्छता तथा भीड़भाड़ का माहौल रोग फैलाने में सहायक होते हैं. रक्त तथा समलैंगिक यौन संपर्क से भी रोग फैलता है. इंफेक्शन के दिन से लगभग 2-4 सप्ताह के भीतर रोग के लक्षण प्रकट होते हैं.

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