बाथरूम में फिसल कर गिरे 70 वर्षीय ओमप्रकाश कूल्हे की हड्डी के टूटने से, बिस्तर पर पड़े हैं. आंकड़े बताते हैं कि अधिकतर बुजुर्ग, सड़क पर चोट खाने की अपेक्षा अपने घर या बाथरूम में फिसलने से चोटिल होते हैं. डाक्टरों के अनुसार, 60 वर्ष से ऊपर की उम्र के लोगों की चोट घातक हो सकती है. इस उम्र के पड़ाव पर चोट या फ्रैक्चर की रिकवरी बहुत धीमी हो जाती है. कूल्हे का फ्रैक्चर या रीढ़ की हड्डी में चोट के चलते व्यक्ति ताउम्र बिस्तर से भी लग सकता है. औल इंडिया मैडिकल इंस्टिट्यूट ट्रौमासैंटर के एक चिकित्सक के अनुसार, फिसलने से सिर में चोट व फ्रैक्चर के ज्यादा चांस होते हैं. औल इंडिया मैडिकल इंस्टिट्यूट औफ न्यूक्लिअर मैडिसिन ऐंड एप्लाइड साइंसैस की एक रिसर्च में पाया गया कि देश में 50 वर्ष या उस से अधिक आयुवर्ग के

3 लोगों में से 1 को औस्टियोपोरोसिस या हड्डियों के कमजोर होने की शिकायत है. डाक्टरों के अनुसार, शरीर को 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम की रोजाना जरूरत होती है. प्रतिदिन के भोजन से इस की पूर्ति नहीं हो पाती, इसलिए पौष्टिक भोजन के साथ डाक्टर की सलाह पर इस का सप्लीमैंट भी लेना चाहिए ताकि हड्डियां कमजोर होने से बची रहें.

परिवार वाले रखें खयाल

फिजिकल मैडिसिन ऐंड रिहैबिलिटेशन के डा. रामचंद्रन कहते हैं कि बुजुर्गों में देखने व सुनने की समस्या उन के फिसलने या गिरने का कारण बन जाती है. सो, समयसमय पर वे आंखों व कानों की जांच कराएं और चश्मा व हियरिंगएड पहने रहें.

फिसलने से बुजुर्ग बच सकें, इस के लिए उन के परिवार को भी ध्यान देना होगा-

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