भारत-इंग्लैंड के बीच हुए तीसरे टी20 में युजवेंद्र चहल ने 6 विकेट लिए थे जो किसी भी भारतीय गेंदबाज का अंतरराष्ट्रीय टी-20 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. लेकिन क्या आप यह यकीन करेंगे कि स्पिनर युजवेंद्र चहल का पहला प्यार क्रिकेट नहीं शतरंज था. चहल राज्य और राष्ट्रीय स्तर के चैंपियन रह चुके हैं. उन्होंने 2013 में जूनियर चेस वर्ल्ड कप भी खेला था मगर महंगा खेल होने के कारण इसे आगे जारी नहीं रख सके.

उस वक्त उनकी उम्र 12-13 साल थी. तब उन्होंने अपने दूसरे पसंदीदा खेल क्रिकेट में हाथ आजमाया. शायद यही कारण है कि उनकी गेंदबाजी में भी शतरंज की बिसात सरीखे पैंतरे नजर आते हैं.

पैसों के कारण छोड़ना पड़ा शतरंज

युजवेंद्र ने जूनियर राष्ट्रीय चैंपियन (चेस) बनने के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर के बड़े टूर्नामेंट में हिस्सा लिया, मगर आगे बढ़ने के लिए अच्छे कोच की जरूरत थी. ग्रैंड मास्टर स्तर के कोच पर महीने में एक लाख रुपये से ज्यादा खर्च हो जाते हैं. लेकिन युजवेंद्र के पास इतने पैसे नहीं थे. लिहाजा उन्हें शतरंज छोड़ना पड़ा.

खेती की जमीन पर बनाया क्रिकेट का मैदान

जींद में क्रिकेट की सुविधाएं अच्छी नहीं थी. युजवेंद्र के लिए उनके पिता ने खेती की जमीन में डेढ़ एकड़ के हिस्से में उसके लिए मैदान तैयार कराया जहां वह अकेले ही घंटों अभ्यास करते थें.

रोहतक हरियाणा के क्रिकेट का बड़ा केंद्र है. यहीं पर जूनियर क्रिकेटरों के एक कैंप में अपने समय के दिग्गज लेग स्पिनर नरेंद्र हिरवानी के टिप्स युजवेंद्र के लिए करियर बदलने वाले साबित हुए. इससे पहले तक वह बाकी बच्चों की तरह मीडियम पेस और मिलीजुली गेंदबाजी करते थे. हिरवानी की सलाह पर ही युजवेंद्र ने लेग स्पिन पर ध्यान दिया.

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