हाल ही में योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरीत पारेख की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने सरकार को ईंधन के दाम बढ़ाने की सलाह दी है और कहा है कि ईंधन पर दी जा रही सब्सिडी पर कटौती की जानी चाहिए. समिति ने तो यहां तक कहा है कि तत्काल डीजल और केरोसिन की प्रति लिटर कीमत में 5 रुपए तक की बढ़ोतरी के साथ ही रसोईगैस की कीमत प्रति सिलेंडर 250 रुपए तक बढ़ा दी जानी चाहिए. यही नहीं, समिति ने रसोईगैस के सब्सिडी वाले सिलेंडर की संख्या साल में 9 से घटा कर 6 किए जाने की वकालत की है. उस ने यह भी कहा है कि समिति की सिफारिश को लागू करने के बाद डीजल पर प्रति लिटर सब्सिडी 6 रुपए निर्धारित कर देनी चाहिए.

तेल कंपनियां वर्तमान में डीजल पर 10.52 रुपए तथा केरोसिन पर 38.32 रुपए प्रति लिटर सब्सिडी दे रही हैं जबकि रसोईगैस के प्रति सिलेंडर पर 532.86 रुपए की सब्सिडी दी जा रही है. इसी बीच, रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कह दिया है कि अर्थव्यवस्था की जो तसवीर है उस में सुधार लाने तथा रुपए को मजबूत बनाने के लिए कुछ तो कठोर कदम उठाने ही पड़ेंगे. इस का सीधा मतलब है कि आसमान छू रही महंगाई पर लगाम लगने की उम्मीद निकट भविष्य में नहीं है और ईंधन जैसी आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे तो महंगाई को किसी भी हाल में नियंत्रित करना कठिन हो जाएगा.

यह ठीक है कि सब्सिडी के लिए अर्थव्यवस्था को गिरवी नहीं रखा जाना चाहिए लेकिन दूसरे क्षेत्रों में जो अनावश्यक खर्च हो रहे हैं और सरकारी योजनाओं को जिस अकर्मण्यता व लापरवाही से चलाया जा रहा है उन पर नजर रखी जानी चाहिए. 

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