हमारी सरकार परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने की कोशिश कर के देश की ऊर्जा जरूरत को पूरा करने का प्रयास कर रही है जबकि जापान जैसे कई बड़े देशों में इस तरह की परियोजनाओं का कड़ा विरोध हो रहा है. वहां की सरकारें जनता की भावनाओं के अनुरूप कदम उठाने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन हमारी सरकार जनविरोध की परवा किए बिना परमाणु ऊर्जा केंद्रों को विकसित करने पर उतारू है.

जनविरोध और सरकार की हठधर्मिता के बीच अच्छी खबर यह है कि देश में सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी कंपनियों ने दुनिया की सब से बड़ी और पर्यावरण के लिहाज से सब से सुरक्षित सौर ऊर्जा परियोजना पर काम करने का निर्णय लिया है. इस संयुक्त ऊर्जा संयंत्र से 4 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा. इस साल जनवरी में हुए इस समझौते के तहत परियोजना का विकास राजस्थान के सांभर में 19 हजार एकड़ भूमि पर किया जाएगा.

परियोजना के लिए बीएचईएल, पावरग्रिड सोलर एनर्जी कौर्पोरेशन, सांभर साल्ट लिमिटेड, सतलुज जल विद्युत निगम तथा राजस्थान इलैक्ट्रौनिक्स ऐंड इंस्ट्रुमैंट लिमिटेड के बीच समझौता हुआ. परियोजना को कई चरण में पूरा किया जाएगा. पहले चरण पर 7,500 करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान है और इस चरण में 1,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

परियोजना से शेष 3000 मेगावाट बिजली के उत्पादन के लिए भी चरणबद्ध तरीके से काम किया जाएगा. प्रत्येक संयंत्र की उम्र 25 वर्ष बताई जा रही है. इतने बड़े क्षेत्र में दुनिया की सब से बड़ी इस परियोजना में भेल की हिस्सेदारी 26, सोलर एनर्जी की हिस्सेदारी 23 तथा पावरग्रिड और सांभर साल्ट की हिस्सेदारी 16-16 फीसदी होगी. सार्वजनिक कंपनियों की यह क्रांतिकारी पहल है. निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी इस तरह के प्रयास कर के पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए.

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