मॉरगेज एक लोन होता है, जो बैंक या वित्तीय संस्थान आपकी संपत्ति को बंधक रखकर देती हैं. यहां बंधक रखने का मतलब यह नहीं है कि बैंक आपकी संपत्ति पर कब्जा कर ले. इसका आशय सिर्फ इतना है कि अगर आप नियत समय में लोन नहीं चुका पाते हैं तो बैंक के पास आपकी संपत्ति पर कब्जा करने का अधिकार होगा.

सरल शब्दों में कहें तो मॉरगेज एक ऐसा कर्ज है, जो आप अपनी संपत्ति को बंधक रखकर लेते हैं. आम तौर पर मॉरगेज का इस्तेमाल नया मकान खरीदने के लिए धनराशि जुटाने की खातिर किया जाता है. लेकिन इसका कई अन्य कार्यो, नया कारोबार शुरू करने या इसके विस्तार में, इलाज कराने, बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

अगर आप तय समय में लोन को नहीं चुका पाते हैं तो उधार देने वाला बंधक प्रॉपर्टी को कर्ज वसूली के लिए बेच सकता है. तय समय से आशय उस अवधि से है, जिसके भीतर आपको ईएमआइ के जरिये कर्ज वापस चुकाना है. निश्चित समय अंतराल पर जाने वाली इस किस्त में मूलधन व ब्याज दोनों का हिस्सा होता है. लोन को चुकाने की अवधि कई कारणों पर निर्भर करती है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण वह धनराशि है, जो आप घर खरीदने से पहले डाउन पेमेंट के तौर पर जमा करते हैं.

मॉरगेज के प्रकार

- पहला, फिक्स्ड ब्याज दर वाला लोन. इस मॉरगेज में ब्याज दरें नहीं बदलतीं.

- फ्लोटिंग यानी परिवर्तनीय ब्याज दर वाला मॉरगेज. इस तरह के लोन पर ब्याज दर घटती-बढ़ती रहती है. लेकिन यह बेस रेट से नीचे नहीं जाती है.

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