शेयर बाजार में नए साल पर उदासी का माहौल रहा. दुनिया जब नए साल के जश्न में थी और उस की खुमारी में नए उत्साह व नए सपने के साथ काम करने के लिए लोग घर से निकले तो बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई में मायूसी का आलम दिखा. उम्मीद यह थी कि नए साल पर बाजार में नया उत्साह देखने को मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

दरअसल, बाजार पिछले वर्ष के आखिरी दिनों से ही मंदी की चपेट में था. नए साल में पूरे 5 सत्र तक बाजार में गिरावट का रुख रहा. वर्ष 2014 की शुरुआत में शेयर बाजार में 5 दिन तक लगातार जारी रही गिरावट को थामने के लिए सरकार की तरफ से भी कोई प्रयास नहीं किया गया. आर्थिक मंदी को बढ़ावा देने वाले नएनए आंकड़े सामने आते रहे जिन का निवेशकों पर नकारात्मक असर देखने को मिला.

इस दौरान सेवा क्षेत्र का आंकड़ा आया और देश में दिसंबर में लगातार छठे माह भी सेवा क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई. इस बीच राजनीतिक अस्थिरता का भी माहौल बना रहा. दिल्ली में सरकार बनी और इस के राजनीतिक माने बाजार में अपने हिसाब से लगाए गए. प्रधानमंत्री ने भी 10 साल में तीसरी बार प्रैस कौन्फ्रैंस करने की घोषणा की जिस के कारण बाजार में असमंजस की स्थिति थी. प्रधानमंत्री के इस्तीफा देने की अटकलें भी थीं. राजनीतिक स्तर की इस अस्थिरता का असर बाजार पर रहा.

उधर, एशियाई बाजारों में भी गिरावट का ही दौर रहा लेकिन 8 जनवरी को बाजार में विदेशी बाजारों से अच्छे संकेत मिलने के बाद थोड़ी राहत मिली और सूचकांक मामूली तेजी पर बंद हुआ.

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