बढ़ती महंगाई को देखते हुए भविष्य के लिए बचत करना बहुत जरूरी है और निवेशकों के पास बाजार में निवेश करने के अनेक विकल्प हैं. उन में म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए निवेश करने का बेहतरीन विकल्प है. म्यूचुअल फंड योजना के तहत खरीदी गई यूनिटों से इकट्ठी धनराशि को फंड मैनेजर द्वारा विभिन्न प्रतिभूतियों जैसे शेयर, डिबैंचर या फिर मुद्रा बाजार में निवेश किया जाता है. इस तरह म्यूचुअल फंड आम लोगों के लिए निवेश का उचित विकल्प है. इस में निवेश अपेक्षाकृत कम लागत पर विविध प्रतिभूतियों में किया जाता है.

निवेशकों की जरूरतों, लक्ष्यों, आयु, वित्तीय स्थिति, जोखिम आदि के आधार पर म्यूचुअल फंड की अनेक योजनाएं हैं. जिस स्कीम में निवेशक जितनी रकम लगाता है उसे उस के निवेश के अनुसार यूनिटें प्रदान की जाती हैं. प्रत्येक यूनिट का मूल्य म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो के बाजार में प्रदर्शन के हिसाब से बदलता रहता है. एक समय में यूनिट का मौजूदा भाव उस का नैट ऐसेट वैल्यू (एनएवी) कहलाता है.

म्यूचुअल फंड के प्रकार

म्यूचुअल फंड क्लोज ऐंडेड और ओपन ऐंडेड होता है. क्लोज ऐंडेड म्यूचुअल फंड को न्यू फंड औफर (एनएफओ) के दौरान खरीदा व परिपक्वता के बाद बेचा जाता है जबकि ओपन ऐंडेड स्कीम में निवेश या निवेश की निकासी कभी भी की जा सकती है. निवेशक जरूरत अनुसार इस का लाभ उठा सकते हैं. म्यूचुअल फंड का संचालन एक ऐसेट मैनेजमैंट कंपनी करती है. फंड का चुनाव करते समय जिस फंड में पैसा लगाएं उस फंड के बारे में यह जान लें कि वह उस पैसे का निवेश कहांकहां कर रहा है. लिक्विड फंड: अगर निवेश 3 से 6 महीनों के लिए करना है तो लिक्विड फंड का चुनाव करें. इस फंड की परिपक्वता 91 दिनों में हो जाती है.

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