वाहन निर्माता कंपनियां तेजी से भारत का रुख कर रही हैं. भारत वाहन निर्माण करने वाला दुनिया का सब से बड़ा देश है. सस्ती कार बनाने के लिए दुनिया की दिग्गज कार निर्माता कंपनियां भारतीय बाजार में संभावनाएं तलाश रही हैं. छोटी और सस्ती कार का कौंसैप्ट सब से पहले टाटा समूह ने दिया. उस की सस्ती कार नैनो ने पूरी दुनिया की कार निर्माता कंपनियों का ध्यान खींचा है. उस के बाद भारतीय बाजार की सभी प्रमुख कंपनियों में सस्ती कार बनाने की होड़ सी लग गई. रिनौल्ट निसान भी सस्ती कार ले कर भारतीय बाजार में आने की घोषणा कर चुकी है.

भारत छोटी कारों का आकर्षक बाजार है. सस्ती कार को खरीद कर यहां हर आदमी कार रखने का शौक पूरा करना चाहता है. देश में सड़कों का जाल बिछा है और सार्वजनिक वाहनों के भरोसे नहीं रहा जा सकता है. दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे महानगरों में सड़कें कम पड़ने लगी हैं. सड़कें चौड़ी की जा रही हैं लेकिन वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण वे फिर भी छोटी पड़ रही हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में भी कारों, खासकर छोटी और सस्ती कारों का बाजार बढ़ रहा है. निसान कंपनी का तो यहां तक कहना है कि यदि वह कुछ बेहतर करती है तो छोटी कार भारतीय बाजार में बिक्री की गारंटी है. किसी दूसरे देश के लिए इस तरह की गारंटी नहीं दी जा सकती है.

कंपनी के सीईओ कार्लोस घोसन कहते हैं कि वे नैनो से सस्ती कार तो नहीं बेच सकते लेकिन उन के पास आंकड़े हैं कि भारतीय बाजार में छोटी कारों की बिक्री की संभावना है. वे कहते हैं कि अमेरिका में 1 हजार में से 800 लोगों के पास कारें हैं, यूरोपीय देशों में करीब 600 लोगों के पास हैं जबकि रूस में 280, ब्राजील में 200, चीन में 60 व भारत में 15 लोगों के पास कारें हैं. इस तरह से भारतीय बाजार में संभावनाएं काफी हैं. यही नहीं, भारत में लोगों के पास पैसा तेजी से आ रहा है और हर आदमी अपनी आमदनी का दिखावा करना पसंद भी करता है. पुरानी कार ले कर लोग कार रखने का शौक पूरा कर रहे हैं और यदि उन्हें सस्ती दर पर नई और बेहतर कार मिल जाती है तो खरीदार पुरानी कार के बजाय नई कार खरीदना पसंद करेगा, इसलिए भारत में छोटी कार का बाजार संभावनाओं से भरा है.

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