बौंबे शेयर बाजार में जुलाई के आखिरी सप्ताह से ले कर अगस्त के पहले सप्ताह की शुरुआत तक लगातार 5 सत्र में तेजी रही. लेकिन इस के बाद संसद में चल रहे हंगामे के कारण मानसून सत्र में कोई कामकाज नहीं हो पाने और सत्ता पक्ष तथा विपक्ष के बीच बढ़ते तनाव ने बाजार के सैंटिमैंट को प्रभावित किया. उसी बीच, रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन की मौद्रिक समीक्षा नीति के दौरान ब्याज दरों में कटौती नहीं करने से कटौती की उम्मीद लगाए निवेशक निरुत्साहित हुए. नतीजतन, बाजार का रुख बदल गया और सूचकांक 28 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे उतर आया. जानकार इस की वजह एशियाई बाजारों में जारी गिरावट को भी मान रहे हैं. थोक मूल्य सूचकांक में पिछले वर्ष नवंबर से जारी गिरावट और विनिर्माण क्षेत्र के निर्यात के पिछले 6 माह के दौरान बढ़ने की खबर से भी ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद की जा रही थी लेकिन सरकार का मानना है कि दरों में कटौती का आधार सिर्फ थोक मूल्य सूचकांक को ही नहीं माना जा सकता है.

विश्लेषकों का मानना है कि मानसून का मौसम अभी चल रहा है, कई क्षेत्रों में विकास दर पिछले साल से दोगुनी हुई है और खरीफ की फसल के बेहतर होने के अनुमान की वजह से सब की निगाह ब्याज दरों पर टिकी थी. उन का मानना है कि ब्याज दरों की कटौती नहीं करने की घोषणा सकारात्मक माहौल के कारण बाजार को ज्यादा दिन तक प्रभावित नहीं कर सकती है. इधर संसद में हुई अनुपूरक मांगों पर हुई चर्चा के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली के सभी रुकी विकास योजनाओं को शुरू करने और विकास दर 8 प्रतिशत तक पहुंचने के अनुमान जाहिर करने के बाद बाजार में अगले दिन ही सुधार हुआ और सूचकांक 2 सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया.

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