वित्त संस्थानों में वित्तीय अनियमितताएं आम हैं. सरकार इस से निबटने के लिए ठोस कदम नहीं उठा रही. हाल ही में कोलकाता में एक चिटफंड कंपनी द्वारा लोगों की गाढ़ी कमाई को चूना लगाने का मामला सामने आया और यह विवाद पूरी तरह से निबटा भी नहीं था कि कुछ बीमा कंपनियों ने शिकायत दर्ज कराई है कि उन के प्रतिनिधि बन कर कुछ लोग उन के ग्राहकों को फोन कर के लुभावने औफर दे रहे हैं.

फोनकर्ता उपभोक्ताओं को ऐसी स्कीमें बता रहे हैं जो उन की कंपनी के पास हैं ही नहीं. इन स्कीमों के तहत उपभोक्ताओं को लूटा जा रहा है और साथ ही कंपनियों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है. कंपनियों का कहना है कि उपभोक्ता पैसा जमा करा रहे हैं और यह पैसा फोन करने वाले बदमाशों के पास जा रहा है. उपभोक्ताओं की गाढ़ी कमाई कहां जा रही है और इसे कौन डकार रहा है, इस का किसी को पता नहीं है.

कंपनियों के पास जो दावा पेश किया जा रहा है उस का कोई रिकौर्ड नहीं है. कंपनियों का कहना है कि इस तरह से धोखेबाज एक तीर से दो शिकार कर रहे हैं. वे कंपनियों के साथ ही आम उपभोक्ता की गाढ़ी कमाई चट कर रहे हैं. इस तरह की शिकायत रिलायंस लाइफ इंश्योरैंस, आईसीआईसीआई पू्रडैंशियल, एचडीएफसी लाइफ, बिरला सनलाइफ, एसबीआई लाइफ, एगान रेलीगेयर सहित कुछ कंपनियों ने दर्ज कराई है. शिकायतें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल सहित कई अन्य राज्यों में दर्ज कराई गई हैं.

शिकायतों में कहा गया है कि इस धोखाधड़ी से इन कंपनियों को सालाना 100 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो रहा है. इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उन से पूछताछ की जा रही है लेकिन उन के सिंडिकेट का फिलहाल खुलासा नहीं हो सका है. आरोप लगाए जा रहे हैं कि जिस सरकार के मंत्री ही घोटालों में शामिल हों और घोटालों के कारण जेल जा रहे हों उस सरकार से भ्रष्टाचार पर नियंत्रण की उम्मीद कैसे की जा सकती है. विपक्षी दलों का कहना है कि यह सरकार आसमान से समुद्र तक घोटालों में शामिल है और हवा  व पानी को भी नहीं छोड़ रही है.

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