वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता के कारण शेयर मार्केट में उथलपुथल मची रही. चीन की अर्थव्यवस्था के गड़बड़ाने की खबर के बाद वैश्विक मंच पर बाजार भरभरा कर गिर गए, हालांकि भारतीय बाजार अगस्त के आखिरी सप्ताह के काले सोमवार को 1,600 अंक से अधिक गिर गया, जिस से बाजार ही नहीं, पूरे देश में खलबली का माहौल पैदा हो गया. लोग सवाल करने लगे कि कहीं हमारी अर्थव्यवस्था भीतर से खोखली तो नहीं है. बाजार के तेजी से गिरते हालात को देख कर पूरे दिन शेयर बाजार में ही नहीं बल्कि पूरे देश में बेचैनी का माहौल रहा. चीन की डांवांडोल अर्थव्यवस्था को बाजार में गिरावट की वजह बताई गई. अगले ही दिन बाजार में सुधार का रुख देखने को मिला तो लोगों को चिंता से उबरने का मौका मिल गया. सूचकांक ने अच्छी छलांग लगाई तो वहीं डूब रहा रुपया थोड़ा मजबूत हुआ. लेकिन इस का बाजार में कोई असर नहीं हुआ. सितंबर की शुरुआत में भी बाजार में अनिश्चितता का माहौल रहा और अमेरिका में विकास डाटा के नकारात्मक रहने की खबर से बाजार गोते लगा गया. बाजार में गिरावट और निराशा के माहौल के बीच विश्व मुद्रा कोष, यानी आईएमएफ की प्रमुख क्रिस्टाइव लागोर्ड का यह दावा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है, ने निराशा के माहौल को उम्मीद में बदला है.

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