बैंक अत्याधुनिक जीवनशैली का हिस्सा बन रहे हैं. लोग जेब में ज्यादा पूंजी रखने के बजाय एटीएम कार्ड रखना पसंद करते हैं और जरूरत के अनुसार पैसा निकालने में सहजता महसूस करते हैं. लेकिन देश की एक बड़ी आबादी है जो अब तक बैंकिंग प्रणाली से नहीं जुड़ी है. बैंक में घुसना उन के लिए अभी भी सपना है और एटीएम मशीन से पैसे निकलना आश्चर्यजनक घटना है. अच्छी बात यह है कि सरकार की योजना इस वर्ग को बैंकिंग सुविधा से जोड़ने की है. रिजर्व बैंक ने इस के लिए दिशानिर्देश भी तैयार कर लिए हैं और उन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है. योजना के तहत 2 तरह के बैंक खोले जाने हैं, भुगतान बैंक और छोटे बैंक. भुगतान बैंक में सिर्फ पैसे जमा करने की सुविधा होगी. छोटे बैंक जमा और भुगतान दोनों काम करेंगे और अपनी शाखाएं विस्तारित कर के एटीएम आदि की सुविधा भी अपने ग्राहकों को दे सकेंगे.

दोनों तरह के बैंक खोलने के लिए 100-100 करोड़ रुपए की जरूरत होगी. 10 साल का अनुभवी वित्तीय संस्थान ही बैंक खोलने के लिए पात्र हो सकता है. उसे 40 फीसदी हिस्सेदारी 5 साल तक बैंक में रखनी होगी जिसे अगले 12 साल में घटा कर 26 फीसदी तक लाया जा सकता है. छोटे बैंक सिर्फ किसानों, मजदूरों और छोटे कारोबारियों को अपनी सेवाएं देंगे. इन बैंकों में ज्यादा पैसा जमा नहीं किया जा सकेगा. एटीएम से पैसा निकालने की सीमा होगी. यह अच्छी पहल है. 100 रुपए या 500 अथवा 1 हजार रुपए बड़े बैंकों, यानी जहां लाखों का लेनदेन होता है, में जमा करना अथवा निकालना स्वयं को अच्छा नहीं लगता है. इतनी कम राशि के लेनदेन में हिचकिचाहट होती है लेकिन छोटे बैंकों में ग्राहक जितना कम चाहे पैसा निकाल या जमा कर सकेंगे. वहां पैसे को जमा करने और निकालने की सीमा ही न्यूनतम निर्धारित की जाती है, इसलिए हिचकिचाने वाली जैसी कोई स्थिति पैदा नहीं होगी. सभी ग्राहक छोटी पूंजी जमा कर व निकाल रहे होंगे. यह उत्साही कदम है जिस का आम नागरिक निश्चित रूप से स्वागत करेगा.

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