सार्वजनिक क्षेत्र का कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईएफपीओ जमाने के साथ बदल रहा है. संगठन ने तय कर दिया है कि इस साल अगस्त तक वह पूरी तरह से भविष्य निधि से निकासी की प्रक्रिया को सरल बना कर ई-मोड पर ला देगा.
कर्मचारियों को अब तक भविष्यनिधि की अपनी रकम वापस पाने के लिए तरहतरह के दस्तावेजों के झंझट से गुजरना पड़ता था और सभी आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद उसे उस की कमाई का चैक मिल पाता था. एक तरह से उसे सेवानिवृत्ति पर साबित करना पड़ता था कि उस के भविष्य निधि में जो पैसा है वह उसी के वेतन से काटा गया है, इसलिए इस का भुगतान उसे किया जाना चाहिए.
ईएफपीओ के ई-मोड पर आने से औपचारिकताएं कम नहीं होंगी लेकिन कर्मचारी को इस के लिए अब ईएफपीओ के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे. आवश्यक जांचपड़ताल के बाद उस का पैसा सीधे उस के बैंक खाते में पहुंच जाएगा. ईएफपीओ के करीब 93 फीसदी काम ई-भुगतान के जरिए हो रहे हैं लेकिन अगले 3-4 माह में यह कार्यालय पूरी तरह से ई-भुगतान पर निर्भर हो जाएगा. कर्मचारी के भविष्य निधि की रकम का अलग से बैंकड्राफ्ट अथवा चैक बनाने की आवश्यकता नहीं होगी, पैसा सीधे उस के खाते में पहुंच जाएगा.
ईएफपीओ का काम लगातार बढ़ रहा है. पिछले वित्त वर्ष में उस का काम पहले साल की तुलना में 13 फीसदी बढ़ा है और इस में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. समाप्त वित्त वर्ष से पहले इस संगठन ने एक करोड़ लोगों के मामले निबटाए थे जबकि 2013-14 में 1 करोड़ 22 लाख लोगों के मामले सुलझाए हैं. उम्मीद की जा रही है कि ई-भुगतान के जरिए कर्मचारियों की निधि का भुगतान करने से न सिर्फ संगठन की कार्यक्षमता बढ़ेगी बल्कि कर्मचारियों को भी इस का सीधा लाभ मिलेगा.

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