भारतीय दूर संचार नियामक यानी ट्राई कौल ड्रौप के मामले पर सख्त हो गया है. उस ने कौल ड्रौप पर सेवा प्रदाताओं को हर्जाना भरने का निर्देश दिया है. ट्राई ने पिछले वर्ष 16 अक्तूबर को दूरसंचार उपभोक्ता सुरक्षा विनियामक में संशोधन करते हुए उपभोक्ता को कौल ड्रौप की स्थिति में प्रति कौल ड्रौप पर 1 रुपया मुआवजा देने का निर्देश दिया था.

निर्देश में कौल ड्रौप पर अधिकतम 3 रुपए प्रतिदिन की सीमा भी निर्धारित की गई थी. केंद्र सरकार ने भी उस पर सख्ती दिखाई और संसद में कौल ड्रौप से छुटकारा दिलाने का देश को आश्वासन दिया. ट्राई ने 1 जनवरी से नया नियम लागू करने को कहा था लेकिन सेवा प्रदाता कंपनियां मुआवजा देने के बजाय न्यायालय पहुंच गईं.

सेवा प्रदाताओं ने दिल्ली उच्च न्यायालय में ट्राई के आदेश को चुनौती दी है. सेवा प्रदाताओं के एकीकृत संगठन का कहना है कि मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है. फैसला आने तक हर्जाना नहीं दिया जा सकता. कौल ड्रौप से सेवा प्रदाता कंपनियां भारी फायदा उठा रही हैं. उन्हें 1 मिनट बात करने के लिए जितने पैसे लेने होते हैं वह पैसा महज कुछ सैकंड की वार्त्ता में कमा लेती हैं. हालांकि कंपनियां इसे तकनीकी दिक्कत बताती हैं लेकिन उपभोक्ता की जेब पर वे लगातार डाका डाल रही हैं.

उपभोक्ता के लिए कौल ड्रौप बड़ा संकट है. इस वजह से सामाजिक संबंध प्रभावित हो सकते हैं. व्यक्ति जो बात करना चाहता है, कौल ड्रौप के कारण वह अधूरी रह जाती है. आधी बात का मतलब दूसरे पक्ष के लिए परेशानी पैदा कर सकता है. सेवा प्रदाताओं को न्यायालय जाने के बजाय ट्राई को आश्वासन देना चाहिए कि उस के निर्देशों का पालन किया जाएगा, इसलिए उसे थोड़ी राहत दी जाए.

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