ग्रेच्युटी वेतन का वह हिस्सा होता है जो कर्मचारी को उसकी सेवाओं के बदले एक निश्चित अवधि के बाद दिया जाता है. मोटे तौर पर यह रिटायरमेंट के बाद कंपनी या नियोक्ता की तरफ से कर्मचारी को उसकी सेवा के बदले भुगतान होता है. कर्मचारी रिटायरमेंट से पहले भी कई बार नौकरी छोड़ते हैं, उस स्थिति में भी न्यूनतम सेवा योगदान देने वाले को ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है.

आयकर अधिनियम की धारा 10(10) के मुताबिक किसी भी निगम या कंपनी में न्यूनतम पांच वर्ष की सेवा अवधि पूरी करने वाला हर कर्मचारी ग्रेच्युटी हासिल कर सकता है

कर्मचारी को उसकी सेवा के प्रत्येक वर्ष के बदले 15 दिनों का वेतन ग्रेच्युटी के तौर पर दिया जाता है. इसमें मूल वेतन और महंगाई भत्ता का योग शामिल होता है. ग्रेच्युटी के तहत मिली राशि पर कर देना पड़ता है.

निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी को टैक्स से छूट मिल सकती है

आप जानते हैं अगर संसद में पास हो गया यह बिल तो 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी पर नहीं देना होगा टैक्स. निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी को टैक्स से छूट मिल सकती है. केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा है कि कर मुक्त ग्रैच्युटी सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये तक करने संबंधित विधेयक संसद के मॉनसून सत्र में पेश किया जा सकता है.

मीडिया से बात करते हुए दत्तात्रेय ने कहा कि यह मुद्दा काफी पहले से हमारे एजेंडा में है. इस सत्र में इसे लाया जा सकता है. कैबिनेट से मंजूरी के लिए भी इसे जल्द भेजा जाएगा. कैबिनेट से इसे मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों की तरह ही निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को भी काफी फायदा मिलेगा. बिल को अभी केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलना बाकी है.

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