फिल्म ‘मिस लवली’ को देखते वक्त आप को लगेगा जैसे आप कोई डौक्युमैंटरी फिल्म देख रहे हैं. 80 के दशक में इस तरह की 1-2 रील की छोटीछोटी फिल्में खूब बना करती थीं. सैंसर बोर्ड और सरकार की आंखों में धूल झोंक कर चुपके से इन 1-2 रील की पौर्न फिल्मों को दक्षिण भारत में बनी फिल्मों में फिट कर दिया जाता था ताकि दर्शकों की भीड़ जुटाई जा सके व जम कर कमाई की जा सके. यह फिल्म पौर्न इंडस्ट्री की सचाई को दर्शाती है. परिवार के साथ बैठ कर यह फिल्म देखने लायक तो कतई नहीं है.

‘मिस लवली’ जैसी फिल्में विदेशों में होने वाले फिल्म समारोहों के लिए ठीक होती हैं. इस फिल्म की कांस फिल्म समारोह में काफी तारीफ हुई है.

फिल्म देख कर लगा, निर्देशक ने विषय को गंभीरता से ट्रीट नहीं किया है. फिल्म में गदराए जिस्म, नकली मास्क लगाए चेहरे और कुछ डरावने से चेहरों को दिखाने की ही कोशिश की गई है.

फिल्म की शुरुआत में  यह स्पष्ट नहीं हो पाता कि फिल्म पौर्न इंडस्ट्री की सचाइयों से रूबरू करा रही है. करीब पौने 2 घंटे की यह फिल्म काफी सुस्त है. पटकथा बिखरी हुई है और संपादन में भी कसावट नहीं है.

कहानी 2 भाइयों, मिकी दुग्गल (अनिल जौर्ज) और सोनू (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की है. मिकी अश्लील फिल्में बनाता है तो सोनू ये अश्लील रीलें सप्लाई करता है. वह इन पौर्न फिल्मों में काम करने के लिए नईनई लड़कियों की भी सप्लाई करता है. एक दिन उस की मुलाकात पिंकी (निहारिका सिंह) से होती है. वह पिंकी से प्यार करने लगता है और उसे ले कर एक फिल्म बनाना चाहता है. उधर, मिकी की जिंदगी में एक नई लड़की नाडिया (मेनका लालवानी) आती है. वहीं, एक दिन नाडिया का खून हो जाता है तो अवैध रूप से ऐसी फिल्में बनाने वालों पर गाज गिर पड़ती है. सोनू गिरफ्तार हो जाता है. मगर जब वह छूट कर आता है तो उसे पता चलता है कि मिकी ने उस की प्रेमिका पिंकी के साथ सैक्स संबंध बना लिए हैं और पिंकी पूरी तरह से मिकी के रंग में रंग चुकी है. वह विक्षिप्त सा हो जाता है.

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