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प्यार से तुम ने बुलाया नहीं

प्यार से मिलने आते जरूर लेकिन प्यार से तुम ने बुलाया नहीं?

वफा उस की कागजी थी शायद

जरा सी आंच न सह सकी शायद

उस के आने का करते रहे इंतजार

कोई गलतफहमी जरूर थी शायद

ख्वाब न पूरे हो सके अपने

हमारी कोशिशों में थी कमी शायद

सांस बेशक उस की चलती रहती है

जीने की तमन्ना मगर खत्म हो चुकी शायद

तुम से मिलने हम आते जरूर लेकिन

प्यार से तुम ने बुलाया नहीं कभी शायद.

      - हरीश कुमार ‘अमित’

 

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विलियम शेक्सपियर के नाटक ‘रोमियो जूलियट’ पर आधारित फिल्म ‘इसक’ काफी कमजोर है. निर्देशक ने  ‘इसक’ (उत्तर प्रदेश में कई जगह ‘इश्क’ को ‘इसक’ ही बोला जाता है) को बहुत ज्यादा खूनखराबे के बीच डैवलप किया है. फिल्म का क्लाइमैक्स दुखांत है. दर्शक शायद ही इसे स्वीकार कर पाएं. इस के अलावा फिल्म लंबी और सुस्त है. दर्शक फिल्म खत्म होने का बेसब्री से इंतजार करते हैं.

रोमियो जूलियट की तरह की इस फिल्म में भी मिश्रा और कश्यप 2 परिवार हैं. दोनों परिवारों को बनारस का दिखाया गया है. दोनों ही परिवार रेत के अवैध खनन का कारोबार करते हैं. इसीलिए दोनों ही परिवारों में दुश्मनी है. एक नेता अपना हित साधने के लिए दोनों के बीच सेतु का काम करता है. शहर में नक्सलियों का भी दबदबा है. इसीलिए गोलीबारी, खूनखराबा वहां आम है. इस खूनखराबे के बीच प्यार का अंकुर फूटता है. मिश्रा परिवार का राहुल (प्रतीक बब्बर) कश्यप परिवार की बच्ची (अमायरा दस्तूर) से इश्क कर बैठता है. बच्ची के मामा तीता सिंह (रवि किशन) को उन दोनों का प्यार नहीं सुहाता और वह राहुल के खून का प्यासा हो जाता है. वह राहुल को घेर कर ललकारता है परंतु राहुल उसे मार डालता है और फरार हो जाता है. फरार होने से पहले राहुल बच्ची से गुपचुप शादी कर चुका होता है. उधर, बच्ची की सौतेली मां (राजेश्वरी सचदेव) बच्ची की शादी कश्यप परिवार के एक पुलिस इंस्पैक्टर प्रीतम से तय कर देती है. प्रीतम नक्सलियों के नेता (प्रशांत नारायण) के साथ मिल कर राहुल को घेर लेता है और उसे मार डालता है. राहुल को मरा देख बच्ची खुद को गोली मार लेती है.

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