जिन दर्शकों ने नसीरुद्दीन शाह अभिनीत ‘वैडनसडे’ फिल्म देखी होगी उन्होंने नसीरुद्दीन शाह के अभिनय की तारीफ जरूर की होगी. किस तरह उस ने अकेले सिस्टम से टक्कर ले कर पूरे पुलिस महकमे को हिला कर रख दिया था. ‘जौन डे’ में भी नसीरुद्दीन शाह ने अकेले दम पर समाज में फैले काले कारनामों का परदाफाश करने की कोशिश की है. लेकिन इस फिल्म में ‘वैडनसडे’ वाली बात नजर नहीं आई. हाथ में रिवाल्वर पकड़े उस के हाथ कांपते से लगते हैं. फिल्म सिस्टम को बदलने के बजाय बदले की ज्यादा लगती है.

‘जौन डे’ खूनखराबे से भरी थ्रिलर फिल्म है. फिल्म के अधिकांश पुरुष किरदार वायलैंट हैं. फिल्म के कुछ दृश्य घृणा पैदा करते हैं, खासतौर से खलनायक का एक गुंडे की जीभ को अपने मुंह से काट कर बाहर फेंकना. फिल्म में कुछ गालियां भी हैं.

कहानी एक बैंक मैनेजर जौन डे (नसीरुद्दीन शाह) की है. एक दिन उस की बेटी की हत्या हो जाती है और उस की पत्नी को बंधक बना कर, उसे घायल कर कुछ गुंडे उस के बैंक के लौकर से 1 फाइल ढूंढ़ने पहुंचते हैं. गुडों के हाथ फाइल नहीं लग पाती. जौन डे को शक हो जाता है. तहकीकात करने पर उसे पता चलता है कि फाइल एक जमीनी घोटाले की है जिस में मेयर तक शामिल है.

अंडरवर्ल्ड डौन सिकंदर हयात खान (शरत सक्सेना) को भी वह फाइल चाहिए. एसीपी गौतम (रणदीप हुड्डा) इस फाइल के एवज में दुबई के एक डौन से 50 करोड़ रुपए में डील पक्की करता है. जौन डे इस फाइल के बारे में सारी जानकारियां जुटाता है और सिकंदर हयात के साथसाथ एसीपी गौतम और उस के गुर्गों को मार डालता है. इस तरह उस का बदला पूरा होता है.

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