दिल्ली में केजरीवाल ने आम आदमी का मुद्दा उठा कर वाहवाही क्या लूटी, सल्लू मियां ने भी अपनी फिल्म ‘जय हो’ में आम आदमी के फैक्टर को भुना डाला.

‘जय हो’ न तो देशभक्ति पर बनी फिल्म है न ही इस में सलमान खान ने देशभक्ति का कोई काम किया है. यह फिल्म अच्छाई का प्रचार करती है. फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है कि सत्ता में बैठे लोग पावर का गलत इस्तेमाल किस तरह करते हैं और आम आदमी त्रस्त होता रहता है. फिल्म का यह विषय नया या अनूठा बिलकुल नहीं है, सैकड़ों बार दोहराया जा चुका है. लेकिन ‘जय हो’ में सलमान खान ने खुद को आम आदमी का प्रतिनिधि जताते हुए भ्रष्ट राजनीतिबाज से टक्कर ले कर अपनी ‘जय हो’ कराई है.

किसी भी फिल्म में सलमान खान का नाम ही फिल्म की गारंटी समझा जाता है. फिल्म कूड़ा हो तो भी सलमान के प्रशंसक उसे हाथोंहाथ लेते हैं. वह चाहे चश्मा उलटा पहन ले, कमर पर तौलिया हिला दे, शर्ट फाड़ कर अपनी छाती दिखाए, उस के फैंस को उस की हर अदा अच्छी लगती है.

‘जय हो’ में सलमान के भाई व निर्देशक सोहेल खान ने सभी चटखारेदार मसाले डाले हैं ताकि सलमान के प्रशंसकों को खुश किया जा सके. फिल्म में भरपूर ऐक्शन है, फनी जोक्स हैं, लव सौंग्स हैं, कौमेडी है, सलमान ने अपनी शर्ट भी उतारी है. फिल्म में गंभीरता बिलकुल नहीं है. फिल्म के कई सीन उस की पिछली फिल्मों के कौपी लगते हैं.

यह फिल्म 2006 में आई तेलुगू फिल्म ‘स्टालिन’ की रीमेक है. ओरिजिनल फिल्म में चिरंजीवी हीरो था. उस वक्त वह राजनीति में आने का प्लान बना रहा था. इसी मकसद से उस फिल्म को बनाया गया था. ‘जय हो’ में सलमान खान ने खुद को दक्षिण भारत के सुपरस्टार रजनीकांत जैसा दिखाने की कोशिश की है.

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