अभिनेता से निर्देशक बने शेखर सुमन की फिल्म ‘हार्टलैस’ हौलीवुड की फिल्म ‘अवेक’ से प्रेरित है. शेखर सुमन ने अपने बेटे अध्ययन सुमन को हीरो बनाने के मकसद से इस फिल्म को बनाया है. लेकिन जब अपना सिक्का ही खोटा हो तो कोई क्या कर सकता है.

अध्ययन सुमन पिछले 5-6 वर्षों से फिल्मों में हाथपैर मार रहा है. लगभग 5 साल पहले उस की पहली फिल्म ‘हाले दिल’ का बुरा हश्र हुआ था. अभी लगभग 1 साल पहले साजिद खान ने उसे ‘हिम्मतवाला’ में खलनायक का रोल दिया था परंतु वह फिर भी नहीं चल पाया.

‘हार्टलैस’ शेखर सुमन के दिल के बहुत करीब है. उस के बड़े बेटे की करीब12 साल की उम्र में दिल की बीमारी की वजह से मौत हो गई थी. अपनी इस फिल्म में शेखर सुमन ने अपने दिल के दर्द को बयां करने की कोशिश की है. लेकिन फिल्म देख कर लगा कि निर्देशन के मामले में अभी उसे बहुतकुछ सीखना बाकी है.

फिल्म की कहानी एक बिजनैसमैन आदित्य (अध्ययन सुमन) की है. उसे दिल की बीमारी है और उस के दिल का प्रत्यारोपण होना है. अपनी इस बीमारी की वजह से आदित्य जीना नहीं चाहता. उस की मुलाकात दुबई के एक होटल में रिसैप्शनिस्ट रिया (एरियाना) से होती है. उस से मिलने के बाद आदित्य में जीने की चाह पैदा होती है. तभी अचानक आदित्य की तबीयत बिगड़ने लगती है. तुरंत हार्ट ट्रांसप्लांट कराने के लिए वह अपने एक सर्जन दोस्त (शेखर सुमन) की मदद लेता है. औपरेशन टेबल पर आदित्य को एनेस्थीसिया दिया जाता है और वह बेहोश भी हो जाता है परंतु उसे औपरेशन थिएटर की सारी आवाजें सुनाई पड़ती हैं और दर्द भी महसूस होता है.

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